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________________ Ix... प्रतिक्रमण एक रहस्यमयी योग साधना अध्याय - 5 : प्रतिक्रमण विधियों के प्रयोजन एवं शंका समाधान 153-217 1. दैवसिक प्रतिक्रमण विधि के हेतु 2. प्रत्याख्यान के विषय में कुछ ध्यातव्य बिन्दु 3. रात्रिक प्रतिक्रमण के हेतु 4 पाक्षिक प्रतिक्रमण के हेतु • पाक्षिक आदि प्रतिक्रमण करने के उद्देश्य ? • पाक्षिक आदि प्रतिक्रमण की.. विधियाँ अधिक क्यों? • संबुद्धा क्षमायाचना का तात्पर्य ? • बृहद् अतिचार एवं उसकी प्रायश्चित्त दान विधि का स्वरूप एवं हेतु • प्रत्येक क्षमायाचना क्यों ? • पाक्षिक सूत्र सुनाने की परम्परा कब से और किसलिए ? • पक्ष सम्बन्धी अतिचारों की विशेष शुद्धि का कायोत्सर्ग • समाप्ति क्षमायाचना का अर्थ एवं उद्देश्य • पाक्षिक प्रतिक्रमण की शेष विधि 5. वर्तमान सन्दर्भ में उठते प्रासंगिक प्रश्न ? अध्याय - 6 : प्रतिक्रमण क्रिया में अपेक्षित सावधानियाँ एवं आपवादिक विधियाँ 218-233 1. प्रतिक्रमण विधि के आवश्यक नियम 2. राईय मुँहपत्ति का प्रतिलेखन क्यों? 3. छींक दोष निवारण विधि 4. बिल्ली दोष निवारण विधि 5. सचित्तअचित्त रज ओहडावणी कायोत्सर्ग विधि। अध्याय-7 : उपसंहार सहायक ग्रन्थ सूची 234-236 237-242
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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