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प्रतिक्रमण की मौलिक विधियाँ एवं तुलनात्मक समीक्षा ...133 चउवीसत्थव करने की विधि
सर्वप्रथम पूंजनी द्वारा योग्य स्थान का प्रमार्जन एवं प्रतिलेखन कर आसन बिछाएँ। फिर सामायिक वेशभूषा में मुख पर मुखवस्त्रिका बांधे। फिर साधुसाध्वी हो तो उनके समक्ष अथवा ईशान कोण (पूर्व-उत्तर दिशा के मध्य की दिशा) की ओर मुख करके सीमंधर स्वामी को तीन बार विधिपूर्वक वन्दन करें। फिर 'दैवसिक प्रतिक्रमण चउवीसत्थव की आज्ञा है'- ऐसा कहें।।
फिर नमस्कार मंत्र, (अथवा अरिहंतो महदेवो) इरियावहि, तस्सउत्तरी एवं अन्नत्थसूत्र कहकर 'इरियावहियाए' के पाठ का ध्यान करें। फिर 'नमो अरिहंताणं' ऐसा बोलकर ध्यान पूर्ण करें।
तत्पश्चात लोगस्ससूत्र का उच्चारण करें। फिर बायाँ घुटना ऊँचा करके एवं बद्धांजलि युक्त होकर दो बार ‘णमुत्थुणं सूत्र' का पाठ करें। फिर दूसरी बार चउवीसत्थव के कायोत्सर्ग में 'लोगस्ससूत्र' का चिंतन करें।
प्रथम आवश्यक- तदनन्तर तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना करें। फिर 'दैवसिक प्रतिक्रमण की आज्ञा है'- इस प्रकार कहे। फिर इच्छामि णं भंते
और नमस्कारमन्त्र का उच्चारण करें। तत्पश्चात तिक्खुत्तो पाठ से तीन बार वन्दन करने के बाद 'प्रथम आवश्यक करने की आज्ञा है'- ऐसा कहें।
प्रथम आवश्यक में करेमि भंते, इच्छामि ठामि और तस्स उत्तरी पाठ का उच्चारण कर कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग में निम्नोक्त 17 पाठों का चिंतन करें___1. आगमे तिविहे का पाठ 2. दर्शन सम्यक्त्व का पाठ 3-14 बारहव्रत एवं पन्द्रह कर्मादान के अतिचारों का पाठ 15. संलेखना पाठ 16. अठारह पापस्थान का पाठ 17. इच्छामि ठामि सूत्र।
फिर 'नमो अरिहंताणं' कहकर ध्यान पूर्ण करें। इसी के साथ 'प्रथम सामायिक आवश्यक समत्तं' ऐसा भी कहें।
द्वितीय आवश्यक- तदनन्तर तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वंदना कर 'दूसरे आवश्यक की आज्ञा है'- ऐसा कहे।
इस आवश्यक में लोगस्स के पाठ का उच्चारण करें। फिर ‘सामायिकचउवीसत्थव दो आवश्यक समत्तं'- ऐसा कहे।
तृतीय आवश्यक- तत्पश्चात तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वंदना कर 'तीसरे आवश्यक की आज्ञा है'- ऐसा कहे।