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134... प्रतिक्रमण एक रहस्यमयी योग साधना
इस आवश्यक में दोनों घुटने ऊँचे कर एवं बद्धांजलि युक्त होकर दो बार 'सुगुरुवंदन' का पाठ करें। फिर 'सामायिक चडवीसत्थव वंदन तीन आवश्यक समत्तं’- ऐसा कहें।
चतुर्थ आवश्यक - उसके बाद पुनः तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वंदना कर 'चौथे आवश्यक की आज्ञा है - ऐसा कहें।
इस आवश्यक में पूर्वोक्त 17 पाठों का प्रकट उच्चारण करें। फिर तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वंदना कर 'श्रावक सूत्र की आज्ञा है' ऐसा कहकर ' तस्स सव्वस्स' का पाठ उच्चरित करें। तत्पश्चात दाहिना घुटना ऊँचा कर, दोनों हाथ जोड़कर एवं एक बार नमस्कार मंत्र का स्मरण कर निम्नोक्त 31 उच्चारण करें
पाठों का
1. करेमि भंते 2. चत्तारि मंगलं 3. इच्छामि ठामि 4. इरियावहियाए 5. आगमे तिविहे 6. दर्शन- सम्यक्त्व का पाठ 7-30 बारह व्रत के प्रतिज्ञा पाठ एवं उनके प्रत्येक के अतिचार पाठ 31. बृहद् संलेखना पाठ। फिर सम्यक्त्व मूलक बारह व्रत आदि में किसी तरह का दोष लगा हो, तो अनंत सिद्धों की साक्षी से मिथ्यादुष्कृत दें।
फिर अठारह पापस्थान और इच्छामि ठामि का पाठ बोलें। फिर खड़े होकर ‘तस्स धम्मस्स' का पाठ उच्चरित करें। फिर दोनों घुटने ऊँचे कर एवं हाथ जोड़कर ‘इच्छामि खमासमणो' का पाठ दो बार विधिपूर्वक उच्चरित करें। उसके बाद पुनः दोनों घुटनों को ऊँचा कर, मस्तक को भूमि पर स्पर्शित कर एवं दोनों हाथ जोड़कर पाँच पदों को वंदन करें।
तत्पश्चात ‘अरिहंत, सिद्ध आचार्य, उपाध्याय, साधु - जो भगवान महावीर स्वामी की आज्ञा में विचरण कर रहे हैं, उन सभी को हमारी वंदना हो ।' ऐसा कहकर आसन पर बैठकर 'अनंत चौवीसी' का पाठ बोलें।
फिर आचार्य, उपाध्याय, साधु आदि से क्षमायाचना करने हेतु 'आयरिय उवज्झाए' का पाठ कहें। श्रावक-श्राविकाओं से क्षमायाचना करने हेतु 'अढाई द्वीप पन्द्रह क्षेत्र' का पाठ कहें। फिर 'चौरासी लाख जीवयोनि' का पाठ कहकर 'सर्व जीव राशि से क्षमायाचना' करने का पाठ उच्चरित करें।
पश्चात 'सामायिक, चउवीसत्थव, वंदन, प्रतिक्रमण - चार आवश्यक समत्तं' - ऐसा कहें।