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102... प्रतिक्रमण एक रहस्यमयी योग साधना
हे चेतन! संयम योग की हानि न हो वैसा तप करना चाहता हूँ। स्वयं अपने मन से ही प्रश्न करें कि छ: मास में एक दिन कम छमासी तप करोगे? शक्ति नहीं है... दो दिन कम छमासी तप करोगे? शक्ति नहीं है... तीन दिन कम का तप करोगे? शक्ति नहीं है... इसी तरह चार दिन कम...पाँच दिन कम यावत 29 दिन कम छमासी तप करोगे? शक्ति नहीं है... पाँच मासी तप करोगे? शक्ति नहीं है... 1,2,3,4,5 दिन कम पाँच मासी तप करोगे? शक्ति नहीं है... 6,7, 8,9,10 दिन कम पाँच मासी तप करोगे? शक्ति नहीं है... इसी तरह पाँच पाँच दिन एक साथ कम करते करते 26,27,28,29 दिवस कम पाँच मासी तप करोगे? शक्ति नहीं है.. फिर चार मासी तप करोगे? शक्ति नहीं है.. फिर से पाँच-पाँच दिन कम करते हुए तीन मासी तप, दो मासी तप यावत मासखमण करोगे? शक्ति नहीं है... 1 उपवास न्यून मासखमण करोगे? शक्ति नहीं है... 2 उपवास न्यून मासखमण करोगे? शक्ति नहीं है... इसी तरह 13 उपवास न्यून मासखमण करोगे? शक्ति नहीं है... फिर 34 अब्भतट्ठ करोगे? शक्ति नहीं है... फिर दो-दो अब्भत्तट्ठ कम करते जाना अर्थात 32 अब्भत्तट्ठ करोगे? शक्ति नहीं है... 30 अब्भत्तट्ठ करोगे?... इस प्रकार छ8 अब्भत्तट्ठ करोगे?... चउत्थ अब्भत्तट्ठ करोगे?... फिर क्रमशः आयंबिल एकासणा, बियासणा, पुरिमड्ड, साढ पोरिसी, पोरिसी, नवकारशी करोगे?
इनमें से जो तप पूर्व में कर चुके हो वहाँ से क्रमश: शक्ति है ऐसा कहना। यदि आज के दिन वह तप नहीं करना हो तो परिणाम नहीं है ऐसा भी कहते रहना.. अर्थात शक्ति है पर परिणाम नहीं।
• ऐसा कहते हुए जिस तप को करने का सामर्थ्य हो उसे हृदय में अवधारित कर कायोत्सर्ग पूर्ण करें और प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलें। वर्तमान में तप चिंतन के स्थान पर छह लोगस्स या चौबीस नवकार गिनने की परिपाटी भी है। __षष्ठम प्रत्याख्यान आवश्यक- उसके बाद उत्कटासन में बैठकर 50 बोल पूर्वक मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना करें और स्थापनाचार्य को द्वादशावत वन्दन करें। • उसके बाद खरतरगच्छ की वर्तमान परम्परा में सकल तीर्थ वंदना के रूप में 'सद्भक्त्या' स्तोत्र तथा तपागच्छ आदि आम्नायों में 'सकलतीर्थ वंद कर जोड़' स्तवन बोला जाता है।