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________________ प्रतिक्रमण की मौलिक विधियाँ एवं तुलनात्मक समीक्षा ...101 • उसके बाद साधु-साध्वी वर्तमान परम्परानुसार तीन नवकार, तीन करेमि भंते; चत्तारिमंगल; इच्छामि पडिक्कमिउं जो मे राइयो; इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए इत्यादि सूत्र बोलकर पगामसिज्झाय का पाठ कहें। .यहाँ गृहस्थ तीन नवकार, तीन करेमि भंते एवं इच्छामि ठामि. का पाठ पढ़कर वंदित्तुसूत्र बोलें। वंदित्तुसूत्र की 43 वी गाथा में ‘अब्भुट्ठिओमि' पद आने पर शेष वंदित्तु सूत्र को खड़े होकर पूर्ण करें। - साधुविधिप्रकाश (पृ. 2) में नवकार मन्त्र और करेमि भंते के लिए एक बार अथवा तीन बार ऐसे दोनों संख्याओं का उल्लेख है। वर्तमान की खरतर परम्परा में उक्त दोनों पाठ सूत्र तीन बार एवं तपागच्छ आदि सम्प्रदायों में एक बार बोलते हैं। __ • उसके बाद स्वकृत अपराधों की क्षमायाचना करने के लिए स्थापनाचार्य को दो बार द्वादशआवर्त से वन्दन करें। फिर गुरु या ज्येष्ठ साधु अब्भुट्ठिओमि सूत्र बोलकर स्थापनाचार्य से क्षमायाचना करें। उसके बाद शिष्य मस्तक झुकाकर अब्भुट्टिओमि सूत्र द्वारा उपस्थित गुरु से क्षमायाचना करें। • यहाँ इतना विशेष है कि प्रतिक्रमण में पाँच से अधिक साधु हो तो गुरु सहित तीन साधुओं से क्षमायाचना करें तथा सामान्य साधु वर्ग हो तो भी स्थापनाचार्य से क्षमायाचना करने के बाद तीन साधुओं से क्षमापना करें। वर्तमान में स्थापनाचार्य सहित तीन से मिच्छामि दुक्कडं देने की प्रवृत्ति देखी जाती है। उसके पश्चात दो बार द्वादशावर्त वन्दन करें। ___पंचम कायोत्सर्ग आवश्यक- तदनन्तर जुड़े हुए दोनों हाथों को मस्तक से लगाकर 'आयरिय उवज्झाय' की तीन गाथाएँ बोलें। • आचार दिनकर (पृ. 326) एवं साधुविधिप्रकाश (पृ. 3) के अनुसार कुछ साधु उक्त तीन गाथाएँ बोलते हैं और कुछ परम्परा के साधु नहीं बोलते हैं। इसका रहस्य ज्ञानीगम्य है। सामाचारी शतक में तो मुनियों के लिए 'आयरिय उवज्झाय' पाठ बोलने का ही निषेध है किन्तु आजकल प्राय: सभी साधु-साध्वी यह सूत्र बोलते ही हैं। . उसके बाद प्रतिक्रमण कर्ता करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्सउत्तरी, अन्नत्थसूत्र बोलकर तप चिंतन का कायोत्सर्ग करें। उस कायोत्सर्ग में भगवान महावीर कृत छह मासिक तप का चिन्तन इस प्रकार करें
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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