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________________ प्रतिक्रमण सूत्रों का प्रयोग कब और कैसे? ...97 प्रतिक्रमण सूत्रों पर रचित टीकाएँ वर्तमान परम्परा में मान्य 45 आगमों में आवश्यकसूत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान है। छह आवश्यक रूप प्रतिक्रमण के मूल पाठ इसी सूत्र में गुम्फित है, इसीलिए इस आगम का नाम आवश्यक सूत्र है। यदि इस सूत्र की टीकाओं का अनुशीलन किया जाए तो इससे सम्बन्धित कई टीका ग्रन्थ प्राप्त होते हैं, जिनका नामोल्लेख निम्न प्रकार है ___ 1. आवश्यकनियुक्ति 2. आवश्यकचूर्णि- आचार्य भद्रबाहु एवं आचार्य हरिभद्र ने इस टीका साहित्य में छह आवश्यक सम्बन्धी सूत्रों का विस्तृत प्रतिपादन किया है। इसमें नियुक्ति गाथा प्राकृत में और चूर्णि संस्कृत में है। 3. ललित विस्तरा- आचार्य हरिभद्रसूरि रचित इस ग्रन्थ में नमुत्थुणं आदि चैत्यवन्दन एवं लोगस्स आदि देववन्दन सम्बन्धी सूत्रों का विवेचन किया गया है। इसमें नमुत्थुणं सूत्र के प्रत्येक शब्द की विशद व्याख्या है। इस पर आचार्य मुनिचन्द्रसूरि ने रहस्य प्रकाशक नामक ‘पंजिका' टीका रची है। 4. षडावश्यक बालावबोध वृत्ति- आचार्य तरुणप्रभसूरि (14वीं शती) कृत यह टीका ग्रन्थ अपने नाम के अनुसार बाल जीवों को समझाने के उद्देश्य से छह आवश्यक पर रची गई है। इसमें 949 गाथाओं की व्याख्या गुजराती भाषा में की गई है जिसे हर प्रान्त भाषी सुलभता से समझ सकता है। 5. श्री श्राद्ध प्रतिक्रमण सूत्र- तपागच्छीय सोमसुंदरसूरि के प्रशिष्य उपाध्याय रत्नशेखरगणि ने यह ग्रन्थ अर्थ दीपिका नाम की टीका के आधार पर रचा है तथा इसमें केवल वंदित्तुसूत्र पर ही विश्लेषण किया गया है। इसका सर्व ग्रंथाग्र 6644 है।
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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