SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 157
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रतिक्रमण सूत्रों का प्रयोग कब और कैसे? ...95 प्रतिक्रमण की स्थापना, नमुत्थुणं सूत्र, खड़े होकर करेमिभंते सूत्र कहने तक सामायिक आवश्यक है। दूसरा चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक- चारित्राचार की शुद्धि निमित्त एक लोगस्स का कायोत्सर्ग और प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलना, चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक है। तीसरा वंदन आवश्यक- तीसरे आवश्यक के निमित्त मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन एवं दो बार द्वादशावर्त वन्दन करना, वंदन आवश्यक है। चौथा प्रतिक्रमण आवश्यक- द्वादशावर्त वन्दन के पश्चात रात्रिक आलोचना से लेकर आयरिय उवज्झाय सूत्र तक, प्रतिक्रमण आवश्यक है। पांचवाँ कायोत्सर्ग आवश्यक- छहमासी तप आदि का चिंतन करना, कायोत्सर्ग आवश्यक है। - छठवाँ प्रत्याख्यान आवश्यक- कायोत्सर्ग करने के पश्चात मुखवस्त्रिका प्रतिलेखन, दो बार द्वादशावर्त वन्दन, सकलतीर्थ वन्दना स्तव और प्रत्याख्यान ग्रहण करना, छठवाँ आवश्यक है। दैवसिक प्रतिक्रमण से छह आवश्यक कहाँ से कहाँ तक? प्रथम सामायिक आवश्यक- 'इच्छाकारेण संदिसह भगवन! देवसिय पडिक्कमणे ठाउं' इस सूत्र से प्रतिक्रमण का प्रारम्भ होता है। उसके बाद करेमिभंते सूत्र से अतिचार की आठ गाथा के कायोत्सर्ग तक, पहला सामायिक आवश्यक है। इस आवश्यक के द्वारा चारित्राचार में लगे दोषों की शुद्धि होती है। सामायिक में पाप प्रवृत्ति के त्याग की प्रतिज्ञा करने से विरतिधर्म और संकल्पपूर्वक समभाव की आराधना होती है। साधक के द्वारा प्रतिक्रमण क्रिया के माध्यम से दुष्कृत का पश्चात्ताप किया जाता है जो समभाव में स्थित होने पर ही संभव है इसलिए पहला सामायिक आवश्यक है। द्वितीय चतुर्विंशति आवश्यक- अतिचार चिंतन की आठ गाथा या आठ नवकार मन्त्र का कायोत्सर्ग करने के पश्चात लोगस्ससूत्र बोला जाता है वह दूसरा आवश्यक है। इस आवश्यक के माध्यम से महान उपकारी तीर्थंकर प्रभु के अद्भुत गुणों की स्तवना और प्रार्थना होती है जिससे दर्शनाचार में लगे दोषों की शुद्धि और सम्यग्दर्शन निर्मल होता है।
SR No.006249
Book TitlePratikraman Ek Rahasyamai Yog Sadhna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages312
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy