________________
86... प्रतिक्रमण एक रहस्यमयी योग साधना
17. आयरिय उवज्झाय सूत्र- यह पाठ मस्तक झुकाकर नमस्कार मुद्रा में बोला जाता है, क्योंकि इस सत्र के द्वारा आचार्य आदि श्रेष्ठ मुनियों एवं साधर्मी बन्धुओं से क्षमायाचना की जाती है और उसके लिए लघुता भाव उत्पन्न होना आवश्यक है। यह मुद्रा लघुता गुण की सूचक है। इस मुद्रा से मानसिक तनाव शांत होते हैं और आन्तरिक उल्लास में अभिवृद्धि होती है। ___ 18. लघुशांति-बड़ीशान्ति- ये दोनों सूत्र पाठ सुखासन में बैठकर बोलेसुने जाते हैं। तपागच्छ आदि कुछ परम्पराओं में बड़ी शांति का पाठ कायोत्सर्ग मुद्रा में सुना जाता है।
इस मुद्रा में सुनने से वीर्य शक्ति का ऊर्ध्वारोहण होता है, मनस् केन्द्र की स्थिरता बढ़ती है और ग्रन्थियों का स्राव संतुलित होता है। दैवसिक प्रतिक्रमण सम्बन्धी सूत्रों में छह आवश्यक कैसे? 1. करेमिभंते सूत्र
सामायिक आवश्यक 2. लोगस्स सूत्र
चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक 3. सुगुरुवंदना एवं इच्छामि वन्दन आवश्यक
खमासमणो सूत्र 4. पगाम सिज्झाय (मुनि सम्बन्धी), प्रतिक्रमण आवश्यक
वंदित्तुसूत्र, इच्छामिठामिसूत्र,
ईरियावहि आदि सूत्र 5. पुक्खरवरदी, सिद्धाणं बुद्धाणं, कायोत्सर्ग आवश्यक
अरिहंत चेईयाणं, तस्सउत्तरी,
अन्नत्थसूत्र 6. उग्गए सूरे नमोक्कारसहियं प्रत्याख्यान आवश्यक
आदि सूत्र पाक्षिक आदि प्रतिक्रमण सम्बन्धी सूत्रों में छह आवश्यक कैसे? 1. पाक्षिकसूत्र से पूर्वकथित करेमिभंते सूत्र
सामायिक आवश्यक 2. कायोत्सर्ग के पश्चात कहे जाने ___वाला लोगस्ससूत्र
चतुर्विंशति आवश्यक 3. द्वादशावर्त्तवन्दन सूत्र
वंदन आवश्यक