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________________ 34...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में दीपिका, अवचूरि, अवचूर्णि, पंजिका, टिप्पण, टिप्पनक, पर्याय, स्तबक, पीठिका, अक्षरार्थ आदि मूल टीकाकार आचार्य हरिभद्रसूरिजी माने जाते हैं। इनके सिवाय कोट्याचार्य, आचार्य गन्धहस्ती, आचार्य शीलांक, आचार्य अभयदेव, आचार्य मलयगिरि, मलधारी हेमचन्द्र, वादिवेताल शांतिसूरि, द्रोणाचार्य आदि आचार्यों के नाम भी टीकाकार के रूप में विश्रुत हैं। संक्षेपत: नियुक्ति में आगमगत शब्दों की व्याख्या एवं व्युत्पत्ति है। भाष्य में आगम निहित गंभीर विषयों का विस्तृत विवेचन है। चूर्णि में गूढार्थ विषयों को लोक कथाओं के आधार से समझाने का प्रयास है और टीका में आगम के सूक्ष्म विषयों का दार्शनिक दृष्टि से विश्लेषण है। आगम, नियुक्ति और भाष्य साहित्य प्राकृत भाषा में, चूर्णि साहित्य प्राकृत प्रधान संस्कृत मिश्र भाषा में और टीकाएँ संस्कृत गद्य भाषा में निर्मित है। आवश्यकसूत्र पर रचित व्याख्या साहित्य की सूची इस प्रकार है 1. आवश्यक नियुक्ति- आचार्य भद्रबाहु रचित इस नियुक्ति का दूसरा नाम सामायिक नियुक्ति भी है क्योंकि इसमें प्रमुख रूप से सामायिक आवश्यक की व्याख्या की गई है, शेष पाँच आवश्यकों पर बहुत कम लिखा गया है। तदुपरान्त यह ज्ञातव्य है कि आचार्य भद्रबाह ने नियुक्ति-रचना के क्रम में सर्वप्रथम आवश्यक नियुक्ति की रचना की, अत: इसमें उन्होंने अनेक विषयों का प्रतिपादन कर दिया है तथा परवर्ती नियुक्तियों में अनेक विषयों की व्याख्या के प्रसंग में सामायिक निर्यक्ति में प्रतिपादित विषयों की ओर मात्र संकेत कर दिया गया है। 2. आवश्यकसूत्र पर दो भाष्य मिलते हैं- आवश्यक मूल भाष्य एवं विशेषावश्यक भाष्य। डॉ. मोहनलाल मेहता के अनुसार आवश्यक सूत्र पर तीन भाष्य लिखे गए हैं- 1. मूल भाष्य 2. भाष्य 3. विशेषावश्यक भाष्य।। - वर्तमान में भाष्य नाम से कोई स्वतंत्र कृति प्राप्त नहीं होती है अत: दो भाष्य ही स्वीकार करना चाहिए। किन्हीं मतानुसार आदि के दो भाष्य अति संक्षेप में हैं और उनकी बहुत सी गाथाएँ विशेषावश्यक भाष्य में संयुक्त हो गई है अत: विशेषावश्यकभाष्य तीनों भाष्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला है। किसी के अभिमत से मूल भाष्य आकार में लघु है। उसमें प्रसंगवश कुछ मुख्य विषय सम्बन्धी गाथाओं की व्याख्या है लेकिन विशेषावश्यक भाष्य का स्वतंत्र
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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