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________________ 32... षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में आवश्यक सूत्र का अंश अत्यल्प है। जितना मूल भाग है, वह भी श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित मूल पाठ की अपेक्षा कुछ न्यूनाधिक या कहीं-कहीं रूपान्तरित भी हो गया है। 87 सामान्यतया नमस्कारमंत्र, करेमि भंते, लोगस्स, तस्स उत्तरी, अन्नत्थ, इच्छामिठामि (आलोचना सूत्र ), इरियावहि ( ईर्यापथिक सूत्र ), चत्तारि मंगलं, पगामसिज्झाय (प्रतिक्रमण सूत्र ) और वंदित्तु सूत्र के स्थान पर श्रावक धर्म सम्बन्धी बारह व्रतादि में लगने वाले अतिचारों का प्रतिक्रमण रूप गद्य भागइतने सूत्र उपर्युक्त द्विविध ग्रन्थों में उपलब्ध हैं। पूर्वनिर्दिष्ट हस्तप्रति में बृहत्प्रतिक्रमण नाम का एक भाग है, वह श्वेताम्बर आम्नाय प्रसिद्ध पाक्षिकसूत्र से समानता रखता है। इन सभी पाठों का मूल विवरण पाँचवें अध्याय में प्रस्तुत करेंगे। निष्कर्ष यह है कि दिगम्बर परम्परा में आवश्यक क्रिया सम्बन्धी कुछ सूत्र पाठ तो उपलब्ध हैं, किन्तु वे श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित मूल पाठ की अपेक्षा किंचिद् भिन्न हैं। दूसरा, मूलाचारगत षडावश्यक का स्वरूप अधिकांशतः आवश्यक नियुक्ति पर आधारित है । आवश्यक सूत्र एवं उसका व्याख्या साहित्य सूत्र आवश्यक-श्रमण एवं गृहस्थ की महत्त्वपूर्ण क्रिया है अतएव आवश्यक जैन साधना का मूल प्राण है। यह दोष परिमार्जन एवं आत्म विशुद्धि का महासूत्र है। कोई साधक धार्मिक साधना के क्षेत्र में कितना भी बढ़ा हुआ हो, किन्तु उसे आवश्यक क्रिया के सूत्रों का अर्थ बोध सहित परिज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। इसके अभाव में दोष शुद्धि एवं गुण वृद्धि रूप इस क्रिया का मूलोद्देश्य तद्रूप में फलदायी नहीं हो सकता है। सामान्यत: यह आगमों के वर्गीकरण में दूसरा मूलसूत्र माना गया है। इस ग्रन्थ में नित्य क्रियानुष्ठान रूप छः कर्त्तव्यों का उल्लेख है, अतः इसका नाम आवश्यक है। आवश्यक रूप छः कर्त्तव्यों के नाम निम्न हैं- 1. सामायिक 2. चतुर्विंशतिस्तव 3. वन्दन 4. प्रतिक्रमण 5. कायोत्सर्ग और 6. प्रत्याख्यान। आवश्यक सूत्र के पूर्वोक्त छ: प्रकार षट् अध्य्यन रूप भी है। इस सूत्र का मूल पाठ 100 श्लोक परिमाण हैं तथा गद्य सूत्र 91 और पद्य सूत्र 9 श्लोक परिमाण हैं। प्रत्येक अध्ययन में उस आवश्यक सम्बन्धी सूत्रपाठ दिये गये हैं।
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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