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________________ 28... षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में आवश्यक क्रिया के मूल सूत्र सम्बन्धी विमर्श यह निश्चित रूप से विचारणीय है कि आवश्यक के मूल सूत्र कौन-कौन से हैं? क्योंकि आजकल अधिकांश लोग यही समझ रहे हैं कि आवश्यक (प्रतिक्रमण) क्रिया में जितने सूत्र पढ़े जाते हैं, वे सब मूल आवश्यक सूत्र ही अंग हैं। पंडित सुखलालजी ने आवश्यक के मूल सूत्रों को पहचानने के दो उपाय बतलाये हैं- प्रथम यह है कि जिस सूत्र की अथवा उसके अधिकांश शब्दों की सूत्र-स्पर्शिक निर्युक्ति हो, वह सूत्र मूल आवश्यकगत है और दूसरा उपाय यह है कि जिस सूत्र की अथवा उसके अधिकांश शब्दों की सूत्र-स्पर्शिक निर्युक्ति नहीं हैं, पर जिस सूत्र का अर्थ सामान्य रूप से भी नियुक्ति में वर्णित हैं या जिस सूत्र के किसी-किसी शब्द पर नियुक्त हैं या जिस सूत्र की व्याख्या करते समय आरम्भ में टीकाकार आचार्य हरिभद्रसूरि ने 'सूत्रकार आह', ‘तच्च इदं सूत्रं', ‘इमं सूत्रं इत्यादि प्रकार का उल्लेख किया है, भी मूल आवश्यकगत समझना चाहिए | 182 वह सूत्र प्रथम उपाय के अनुसार नमस्कारमन्त्र, करेमिभंते, लोगस्स, इच्छामि खमासमणो (द्वादशावर्त्त वन्दन सूत्र), तस्स उत्तरी, अन्नत्थ, नवकारसी आदि के प्रत्याख्यान- इन सूत्रों को मौलिक कहा गया है। द्वितीय उपाय के अनुसार चत्तारि मंगलं, इच्छामि ठामि (आलोचना सूत्र ), इरियावहि (ईर्यापथिकं सूत्र), पगामसिज्झाय (साधु प्रतिक्रमण सूत्र), सव्वलोए अरिहंत चेइयाणं (चैत्यस्तव सूत्र), अब्भुट्ठिओमि (गुरुवंदन सूत्र), इच्छामि खमासमणो पियं च मे, इच्छामि खमासमणो पुव्विं चेइयाई, इच्छामि खमासमणो उवडिओऽहं तुब्भण्हं, इच्छामि खमासमणो कयाइं च मे (पाक्षिक समाप्ता खमासमण सूत्र ) - इतने सूत्र मौलिक कहे गये हैं। 83 पंडित सुखलालजी के अनुसार उपर्युक्त सूत्रों के अतिरिक्त 'तत्थ समणोवासओ थूलगपाणाइवायं समणोवासओ पच्चक्खाइ' - इत्यादि श्रावक के बारह व्रत, सम्यक्त्व और संलेखना विषयक जो सूत्र हैं तथा जिनके आधार पर ‘वंदित्तु सूत्र' की पद्य-बन्ध रचना हुई है, वे सूत्र भी मौलिक प्रतीत होते हैं। उक्त सूत्र स्थानकवासी परम्परा में अद्यतन भी प्रचलित हैं तथा वर्तमान उपलब्ध 'आवश्यक सूत्र' के परिशिष्ट भाग में संकलित हैं। यद्यपि इन सूत्रों की व्याख्या
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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