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षड़ावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में ... lv
10. वन्दन योग्य कौन? 11. वन्दनीय को वन्दन कब करना चाहिए? 12. वन्दनीय को वन्दन कब नहीं करना चाहिए ? 13. वन्दना करवाने के अपवाद 14. कृतिकर्म कहाँ स्थित होकर करना चाहिए ? 15. कृतिकर्म (द्वादशावर्त्त वन्दन) कब करना चाहिए ? 16. कृतिकर्म कितनी बार करना चाहिए ? 17. सुगुरुवंदनसूत्र, भक्तिपाठ आदि क्रियाकर्म आवश्यक क्यों ? 18. अवन्दनीय कौन? 19. गुरु सम्बन्धी तैतीस आशातनाएँ 20. गुरु वन्दना के बत्तीस दोष 21. मोक्षमार्ग में वन्दन का स्थान 22. वन्दन आवश्यक का उद्देश्य 23. वन्दन आवश्यक की मूल्यवत्ता 24. आधुनिक सन्दर्भ में वंदन आवश्यक की प्रासंगिकता 25. उपसंहार।
अध्याय - 5:
प्रतिक्रमण आवश्यक का अर्थ गांभीर्य 243-250 अध्याय - 6 : कायोत्सर्ग आवश्यक का मनोवैज्ञानिक अनुसंधान
251-316
1. कायोत्सर्ग का अर्थ विन्यास 2. कायोत्सर्ग की शास्त्रोक्त परिभाषाएँ 3. कायोत्सर्ग के पर्यायवाची 4. कायोत्सर्ग के विविध प्रकार 5. कायोत्सर्ग में संभावित दोष 6. कायोत्सर्ग के आगार 7. कायोत्सर्ग के योग्य दिशा, क्षेत्र एवं मुद्राएँ 8. कायोत्सर्ग का कालमान 9. कायोत्सर्ग भंग के अपवाद 10. किन स्थितियों में कितने कायोत्सर्ग करें ? 11. कायोत्सर्ग और प्रत्याहार 12. कायोत्सर्ग और हठयोग 13. कायोत्सर्ग और श्वासोश्वास 14. कायोत्सर्ग और कायगुप्ति 15. कायोत्सर्ग और ध्यान 16. कायोत्सर्ग और विपश्यना 17. कायोत्सर्ग और प्रेक्षाध्यान 18. कायोत्सर्ग और समाधि 19. कायोत्सर्ग की आवश्यकता क्यों? 20. कायोत्सर्ग के प्रयोजन 21. कायोत्सर्ग के लाभ 22. विविध दृष्टियों से कायोत्सर्ग आवश्यक की उपादेयता 23. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कायोत्सर्ग का मूल्य 24. कायोत्सर्ग का अधिकारी कौन ? 25. कायोत्सर्गसूत्र : एक परिचय 26. उपसंहार।
अध्याय-7 : प्रत्याख्यान आवश्यक का शास्त्रीय अनुचिन्तन
317-399
1. प्रत्याख्यान का अर्थ विनियोग 2. प्रत्याख्यान की मौलिक परिभाषाएँ 3. प्रत्याख्यान के पर्याय 4. प्रत्याख्यान के प्रकार 5. प्रत्याख्यान विशोधि के