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liv... षड़ावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में
उद्देश्य 26. साध्य-साधक और साधना का परस्पर सम्बन्ध 27. सामायिक में चित्त शांति के उपाय 28. समता का तात्पर्यार्थ ? 29. सामायिक व्रत में प्रयुक्त सामग्री 30. सामायिक शुद्धि के प्रकार 31. आसन का वैज्ञानिक रहस्य 32. सामायिक दिशा पूर्व या उत्तर ही क्यों? 33. सामायिक का सामान्य काल दो घड़ी ही क्यों? 34. सामायिक कब करनी चाहिए? 35. समत्व, सम्यक्त्व और सामायिक में भेद या अभेद ? 36. व्यवहार सामायिक भी अर्थकारी है? 37. सामायिक आवश्यक की ऐतिहासिक अवधारणा 38. जैन धर्म की विभिन्न परम्पराओं में सामायिक ग्रहण एवं पारण विधि 39. सामायिकसूत्र : एक विश्लेषण • करेमिभंते सूत्र में छः आवश्यक • करेमिभंते सूत्र का विशिष्टार्थ एवं तात्पर्यार्थ 40. सामायिक पाठ प्राकृत भाषा में ही क्यों? 41. तुलनात्मक विवेचन 42. उपसंहार ।
अध्याय - 3 : चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक का तात्त्विक विवेचन
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1. चतुर्विंशतिस्तव का अर्थ एवं परिभाषाएँ 2. चतुर्विंशतिस्तव के पर्यायवाची 3. चतुर्विंशतिस्तव का प्रतीकात्मक अर्थ 4. जैन आगमों में चतुर्विंशतिस्तव के प्रकार 5. तीर्थंकर परमात्मा की स्तुति ही आवश्यक रूप क्यों? 6. चतुर्विंशतिस्तव दूसरा आवश्यक क्यों ? 7. चतुर्विंशतिस्तव (सद्भूत गुणोत्कीर्तन) का महत्त्व 8. चतुर्विंशति आवश्यक की उपादेयता 9. आधुनिक परिप्रेक्ष्य में चतुर्विंशतिस्तव आवश्यक की प्रासंगिकता 10. चतुर्विंशतिस्तव का उद्देश्य 11. जैन दर्शन में स्तुति का स्वरूप एवं उसके प्रकार 12. चतुर्विंशतिस्तव एक मार्मिक विश्लेषण 13. चतुर्विंशतिस्तव सम्बन्धी साहित्य 14. चतुर्विंशतिस्तव में गर्भित नव त्रिक 15. चतुर्विंशतिस्तव (लोगस्ससूत्र) में छः आवश्यक कैसे? 16. उपसंहार ।
अध्याय-4 : वन्दन आवश्यक का रहस्यात्मक अन्वेषण 171-242
1. वन्दन शब्द का अर्थ विमर्श 2. वन्दन की शास्त्र सम्मत परिभाषाएँ 3. वन्दन के पर्यायवाची एवं उनके दृष्टान्त 4. वन्दन के प्रकार 5. गुरुवन्दन विधि 6. मुखवस्त्रिका प्रतिलेखन विधि 7. संडाशक प्रमार्जन विधि 8. वन्दन आवश्यक में प्रयुक्त सूत्रों का परिचय 9. कृतिकर्म करने का अधिकारी कौन ?