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________________ विषयानुक्रमणिका अध्याय - 1: जैन धर्म में प्रचलित आवश्यक का स्वरूप एवं उसके भेद 1-43 1. आवश्यक शब्द का अर्थ विमर्श 2. आवश्यक की गीतार्थ विहित परिभाषाएँ 3. आवश्यक के आगमिक पर्याय 4. आवश्यक के शास्त्र निर्दिष्ट प्रकार 5. श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्परा में मान्य आवश्यकों की तुलना 6. आवश्यकों का क्रम वैशिष्ट्य 7. आवश्यकों की उपादेयता 8. आवश्यक क्रिया का महत्त्व 9. विविध सन्दर्भों में षडावश्यक की प्रासंगिकता 10. षडावश्यक क्रियाओं में पाठ-भेद एवं विधि-भेद क्यों ? 11. आवश्यक के कर्त्ता कौन? 12. आवश्यक सूत्रों का रचनाकाल 13. आवश्यक क्रिया के मूलसूत्र सम्बन्धी विमर्श 14. आवश्यकसूत्र एवं उसका व्याख्या साहित्य 15. उपसंहार । अध्याय - 2 : सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण 44-129 1. सामायिक के विभिन्न अर्थ 2. सामायिक की शास्त्रीय परिभाषाएँ 3. सामायिक का रूढ़ार्थ 4. सामायिक का अर्थ गांभीर्य 5. सामायिक के पर्यायवाची 6. सामायिक के विभिन्न प्रकार 7. विविध दृष्टियों से सामायिक 8. सामायिक और ज्ञान 9. सामायिक और कर्मस्थिति 10. सामायिक और संज्ञी - असंज्ञी 11. सामायिक और आहारक पर्याप्तक 12. सामायिक और गति 13. सामायिक चारित्र और गुप्ति में अन्तर 14. सामायिक चारित्र और समिति में अन्तर 15. सामायिक व्रत और सामायिक प्रतिमा में अन्तर 16. सामायिक आवश्यक की मौलिकता 17. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सामायिक का प्रासंगिक स्वरूप 18. सामायिक से होने वाले लाभ 19. सामायिक के उपकरणों का स्वरूप एवं प्रयोजन 20. सामायिक के दोष 21. सामायिक व्रती की आवश्यक योग्यताएँ 22. सामायिक का कर्त्ता कौन ? 23. सामायिक में चिन्तन योग्य भावनाएँ 24. सामायिक की उपस्थिति किन जीवों में ? 25. सामायिक का
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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