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________________ प्रत्याख्यान आवश्यक का शास्त्रीय अनुचिन्तन ...379 दही सम्बन्धी- दधि निष्पन्न पाँच निर्विकृतिक वस्तुएँ ये हैं1. घोलवड़ा- वस्त्र से छाने हुए दही में डाले गए बड़े-घोलवड़ा। 2. घोलदही का पानी निकाले बिना, केवल वस्त्र से छाना हुआ घोलमट्ठा। 3. श्रीखण्ड- मथा हुआ शक्कर युक्त दही। 4. करंबक- दही में पकाए हुए चावल आदि डालकर बनाया हुआ कूर। 5. रजिका- नमक आदि मसाला डालकर मथा हआ दही। इस कोटि वाले दही में सांगरी आदि डालने पर भी निवियाता होता है। इसे रायता भी कहते हैं।110 घी सम्बन्धी- घृत से निर्मित पाँच निवियाता निम्नोक्त हैं1. औषध पक्व- आँवला आदि औषधियाँ डालकर पकाया हुआ घी। 2. घृतकिट्टिका- घी उबालते समय ऊपर तरी आ गई हो और घी के नीचे मैल जम गया हो, ऐसा बचा हुआ मैल (कीट)। 3. घृतपक्व- औषधादि पकाने के बाद उस पर आई हई घी की तरी। 4. निर्मंजन- पक्वान्न तलने के बाद बचा हुआ (जला हुआ) घी। 5. विस्यंदन- दही की मलाई में आटा डालकर बनाया हुआ पदार्थ।111 तेल सम्बन्धी- तेल से संस्कारित पाँच निवियाता निम्न हैं1. तेल मलिका- तेल से भरे पात्र में नीचे जमा हुआ मिट्टी सहित तेल का भाग या तेल का मैल। 2. तिलकुट्टि- तिल और गुड़-शक्कर को एकत्रित कूटकर बनाया गया __पदार्थ जैसे-तिलवटी-तिलपट्टी। 3. दग्ध तेल- पक्वान्न बनने के बाद शेष बचा हुआ तेल। 4. तेल- औषध डालकर पकाए हुए तेल के ऊपर आई हुई तरी। 5. पक्वतेल- लाक्षादि द्रव्य डालकर पकाया हुआ तेल जैसे लक्षपाक आदि।112 गुड़ सम्बन्धी- गुड़ विगय से निर्मित पदार्थ, जो निर्विकृतिक कहलाते हैं, वे इस प्रकार हैं___1. आधा ऊबाला हुआ गन्ने का रस 2. खट्टे पड़े आदि के साथ खाने योग्य गुड़ का पानी-गुलवानी 3. प्रत्येक जाति की शक्कर 4. प्रत्येक जाति की खांड 5. गुड़ का उबाला हुआ रस, जो खाजा आदि के ऊपर चढ़ाया जाता है अर्थात गुड़ की चासनी।113
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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