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प्रत्याख्यान आवश्यक का शास्त्रीय अनुचिन्तन ...335 • मुट्ठी सहित प्रत्याख्यान ग्रहण न करें तो प्रथम के दो आगार ही बोलने चाहिए। पौरुषी एवं साढपोरुषी प्रतिज्ञासूत्र __ उग्गए सूरे, पोरिसिं पच्चक्खामि चउव्विहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइमं, साइमं। अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छन्नकालेणं, दिसामोहेणं, साहवयणेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि।
अर्थ- पौरुषी का प्रत्याख्यान करता हूँ। सूर्योदय से लेकर एक प्रहर (लगभग तीन घंटा) दिन चढ़े तब तक अशन, पान, खादिम एवं स्वादिम-चारों आहार का-अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल, दिशामोह, साधुवचन एवं सर्वसमाधिप्रत्ययाकार- इन छहों (अपवादों) आगारों को छोड़कर पूर्णतया त्याग करता हूँ।43
विशेषार्थ- सार्ध पौरुषी का प्रत्याख्यान ग्रहण करते समय ‘पोरिसिं' के स्थान पर ‘साड्डपोरिसिं' पाठ बोलना चाहिए। शेष पाठ दोनों प्रत्याख्यानों का समान है। साढपोरूषी प्रत्याख्यान में डेढ़ प्रहर (लगभग साढ़े चार घंटा) दिन चढ़े तब तक चारों आहार का त्याग किया जाता है। पुरिमड्ड एवं अवड्ड प्रतिज्ञासूत्र ___ उग्गए सूरे पुरिमड् पच्चक्खामि चउव्विहंपि आहारं-असणं, पाणं, खाइमं, साइमं। अन्नत्थणा भोगेणं, सहसागारेणं, पच्छनकालेणं, दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि। ___अर्थ- सूर्योदय से लेकर दिन के प्रथम दो प्रहर (लगभग छह घंटा) तक अशन, पान, खादिम एवं स्वादिम- चारों प्रकार के आहार का- अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल, दिशामोह, साधुवचन, महत्तराकार और सर्वसमाधिप्रत्ययाकार- इन सात आगारों (अपवादों) के सिवाय पूर्णतया त्याग करता हूँ।14
विशेषार्थ- अवड्ड का प्रत्याख्यान लेते समय ‘पुरिमटुं' के स्थान में 'अवडं' पाठ बोलना चाहिए। शेष पाठ दोनों प्रत्याख्यानों का समान है। अवड्स प्रत्याख्यान में तीन प्रहर दिन चढ़े तब तक चारों आहार का त्याग किया जाता है।