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________________ कायोत्सर्ग आवश्यक का मनोवैज्ञानिक अनुसंधान ...287 यदि प्रयोजन एवं परिणाम की दृष्टि से आकलन करें तो इन दोनों प्रक्रियाओं में अन्तर परिलक्षित होता है। कायोत्सर्ग का मूलभूत हेतु देहाध्यास को न्यून करना, इन्द्रिय-जन्य चंचलता को समाप्त करना एवं आत्म जागृति की स्थिति को उपलब्ध करना है, जबकि प्रेक्षा के उद्देश्य इससे भिन्न हैं। मुनि किशनलालजी के अनुसार प्रेक्षा-ध्यान से चैतन्य केन्द्र जागृत होते हैं। उन पर व्यक्ति का नियंत्रण होने लगता है। शक्ति का सम्यक समायोजन होता है। ग्रन्थियों के स्राव परिवर्तन से व्यक्ति के आचार और व्यवहार में एकरूपता होने लगती है, जिससे सहज करुणा और सौम्य भाव प्रस्फुटित होता है। ___ इसी क्रम में वे कहते हैं कि प्रेक्षा-ध्यान जीवन का विज्ञान है। व्यक्ति को श्वास लेने की क्रिया से लेकर जीवन की समस्त समस्याओं पर रचनात्मक ढंग से समाधान देता है। प्रेक्षा-ध्यान मिथ्या मान्यताओं से और साम्प्रदायिक कट्टरताओं से व्यक्ति को बचाता है। प्रेक्षा-ध्यान आत्म विकास की शुद्ध प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति एक वैज्ञानिक की तरह प्रयोग में उतरता है, उसके परिणामों का साक्षात्कार करता है चाहे वह व्यक्ति किसी मजहब, परम्परा और पूजा-उपासना में विश्वास करने वाला क्यों न हो। प्रेक्षा पद्धति में प्राचीन दार्शनिकों से प्राप्त तत्त्व बोध एवं स्वयं की साधना द्वारा अपने अनुभवों का विश्लेषण है जिसे कोई भी व्यक्ति, कभी भी प्रयोग में लाकर उसकी सत्यता का परीक्षण कर सकता है।67 यह सरल और सहज विधि है। इसमें व्यक्ति श्वास प्रेक्षा के अवलम्बन से शारीरिक, मानसिक और आन्तरिक शक्ति का अनुभव कर सकता है। केवल काया को स्थिर कर खड़े होने से उपरोक्त परिणाम घटित नहीं होते हैं। देह के ममत्व विसर्जन के साथ काया को निश्चल एवं चित्त को एक विषय में स्थिर कर ध्यान करने से पूर्वोक्त अनेकशः परिणामों को हासिल कर सकते हैं। आधुनिक वैज्ञानिकों ने बायो फीडबैक पद्धति से ध्यान के प्रयोगों को वैज्ञानिक स्वरूप दिया है। प्रेक्षा-ध्यान कर्ताओं पर अनेक प्रकार के शोधकार्य प्रयोगशालाओं में किए गए हैं। उससे प्राप्त निष्कर्ष इस बात का संकेत देते हैं कि ध्यान के समय शरीर में रासायनिक परिवर्तन होता है। मस्तिष्क में अल्फा तरंगे तरंगित होने लगती हैं। अल्फा तरंग सामान्यत: व्यक्ति के मस्तिष्क में उस समय प्रगट होती है जब
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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