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________________ 258... षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में 5. काल कायोत्सर्ग- सावद्य काल के आचरण द्वारा उत्पन्न हुए दोषों का परिहार करने के लिए कायोत्सर्ग करना अथवा कायोत्सर्ग से परिणत हुए मुनि से युक्त काल का कायोत्सर्ग करना, काल कायोत्सर्ग है। 6. भाव कायोत्सर्ग - मिथ्यात्व आदि अतिचारों के शोधन के लिए किया गया कायोत्सर्ग अथवा कायोत्सर्ग के वर्णन करने वाले प्राभृत का ज्ञाता तथा उसमें उपयोग सहित और उसके ज्ञान सहित जीवों के प्रदेश का ध्यान करना भाव कायोत्सर्ग है।26 आवश्यकचूर्णि में द्रव्य व्युत्सर्ग और भाव व्युत्सर्ग- ऐसे दो भेद भी निर्दिष्ट हैं- 1. द्रव्य व्युत्सर्ग- गण, उपधि, शरीर, भक्त-पान आदि का त्याग करना या आर्त्तध्यान आदि करने वाले का कायोत्सर्ग अथवा अनुपयुक्त जीव का कायोत्सर्ग द्रव्य व्युत्सर्ग है। 2. भाव व्युत्सर्ग- मिथ्यात्व, अज्ञान, अविरति का त्याग करना अथवा संसार, कषाय, कर्म का त्याग करना अथवा धर्मध्यान, शुक्लध्यान करने वाले का कायोत्सर्ग भाव कायोत्सर्ग है। 27 संसार का परित्याग करना संसार व्युत्सर्ग है। संसार चार प्रकार का है - द्रव्य संसार, क्षेत्र संसार, काल संसार और भाव संसार 1 28 चार गति रूप संसार द्रव्य संसार है। ऊर्ध्व, मध्य एवं अधोः ऐसे तीन लोक रूप संसार क्षेत्र संसार है। एक समय से लेकर पुद्गल परावर्त्तन काल रूप काल संसार है तथा जीव का विषयासक्ति रूप भाव, भाव संसार है। आचारांगसूत्र में कहा गया है कि जो इन्द्रियों के विषय हैं, वे ही वस्तुतः संसार है। उसमें आसक्त हुआ जीव ही संसार परिभ्रमण करता है। अतः संसार परिभ्रमण के मूल कारण - मिथ्यात्व, अव्रत प्रमाद, कषाय और अशुभ योग का परित्याग करना, संसार व्युत्सर्ग है । क्रोध, मान, माया व लोभ रूप कषाय चतुष्क का त्याग करना, कषाय व्युत्सर्ग है । अष्टविध कर्मों को नष्ट करने के लिए कायोत्सर्ग करना, कर्म व्युत्सर्ग है 1 29 दशवैकालिकचूर्णि के अनुसार व्युत्सर्ग के दो प्रकार निम्नोक्त हैं- 1. बाह्य उपधि का त्याग - जिनकल्पी के बारह उपकरण, स्थविरकल्पी के चौदह उपकरण तथा आहार, शरीर, वचन और मन की प्रवृत्ति का त्याग करना, बाह्य व्युत्सर्ग है। 2. आभ्यन्तर उपधि का त्याग - मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद और कषाय का त्याग करना, आभ्यन्तर व्युत्सर्ग है।30 संक्षेप में कहा जाए तो चित्तशक्ति को एकाग्र करने हेतु महापुरुष आदि चेतन अथवा मूर्ति आदि अचेतन वस्तु का आलंबन लेकर सूत्र या अर्थ का
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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