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________________ वन्दन आवश्यक का रहस्यात्मक अन्वेषण...225 पूर्वबद्ध कर्मों का संवरण और क्षरण करता है, अन्यथा ज्ञानावरणी कर्मबन्ध का हेतु बनता है। यहाँ विनय शब्द दो अर्थों का सूचक है क्योंकि श्रुत अध्ययन, वाचना, स्वाध्याय आदि अनुष्ठान वन्दनपूर्वक ही होते हैं और जहाँ भाववन्दन होता है वहाँ विनयगुण का सद्भाव रहता ही है।91 वसुनन्दि श्रावकाचार में बतलाया गया है कि विनय गुण का सदाचरण करने वाला व्यक्ति चन्द्रमा के समान उज्ज्वल यश समूह से दिगन्त को धवलित करता है, सर्वत्र सबका प्रिय हो जाता है तथा उसके वचन सर्वदा आदर योग्य होते हैं। जो कोई भी उपदेश इहलोक या परलोक में प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारक हैं, ऐसे अमृत वचनों को मनुष्य गुरुजनों के विनय से प्राप्त करते हैं। संसार में देवेन्द्र चक्रवर्ती और मण्डलीक राजा आदि के जो सुख प्राप्त होते हैं वह सब विनय का ही फल है और इसी प्रकार मोक्ष सुख भी विनय का ही फल है, चूँकि विनयवान पुरुष का शत्रु भी मित्र भाव को प्राप्त हो जाता है अतएव मोक्ष इच्छुक को गुरुजनों के प्रति त्रियोग की शुद्धिपूर्वक विनयाचार का वर्तन करना चाहिए।92 भारत के ऋषि-सन्तों ने वन्दन का वैशिष्ट्य बतलाते हुए यहाँ तक कहा है कि विनय मोक्ष का द्वार है, विनय से संयम, तप और ज्ञान का अभिवर्धन होता है और आचार्य एवं सर्व संघ की सेवा हो सकती है। सम्यक् आचार, जीत-प्रायश्चित्त और कल्प प्रायश्चित्त के योग्य गुणों का प्रगट होना, कलह मुक्ति, सरलता, निर्लोभता, निष्कपटता, गुरुसेवाभाव आदि विनय गुण की निष्पत्तियाँ है।93 रयणसार आदि में यह भी कहा गया है कि जो साधक गुरु की उपासना अर्थात विनय आदि वन्दन व्यवहार नहीं करते हैं उनके लिए सूर्य उदित होने पर भी अन्धकार जैसा ही है तथा सद्गुरु की भक्ति से विहीन शिष्यों की समस्त क्रियाएँ ऊसर भूमि में पड़े बीज के समान व्यर्थ है।94 कहने का आशय यह है कि विनय गुण के अनुवर्तन द्वारा बाह्य एवं आभ्यन्तर समस्त प्रकार की शक्तियाँ अनावृत्त और हस्तगत हो जाती है। इसके पश्चात कुछ भी पाना शेष नहीं रह जाता है अत: मानना होगा कि साधना के क्षेत्र में विनय गर्भित वन्दन कर्म का सर्वोत्तम स्थान है। वन्दन आवश्यक का उद्देश्य
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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