________________
170...षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में 59. भासा असच्चमोसा, नवरं भत्तीए भासिया एसा।
न हु खीण पेज्जदोसा, दिति समाहिं च बोहिं च ।। भत्तीए जिणवराणं, परमाए खीणपेज्जदोसाणं। आरोग्यबोहिलाभं, समाहिमरणं च पावेंति ॥
__ (क) चैत्यवंदन महाभाष्य, 634-635
(ख) आवश्यकनियुक्ति, 1095-1098 60. नैवैतदारोग्यादि वाक्यं स्वतो निष्फलं, ...विशुद्धाध्यवसायहेतुत्वात् ।
धर्मसंग्रहणी मलयगिरिटीका, गा. 892 की टीका, पृ. 157 61. लोगस्ससूत्र एक दिव्य साधना, पृ. 203-204