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________________ 168... षडावश्यक की उपादेयता भौतिक एवं आध्यात्मिक सन्दर्भ में 27. वही, 29/14 28. अनगार धर्मामृत, 8/45 29. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 929-930 30. श्रमणसूत्र, पृ. 79 31. जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक अध्ययन, 32. वही, पृ. 395 33. न केवलाए तित्थगरत्थुतीए एताणि ( आरोग्ग्गादीणि) लब्धंति, किंतु तव आवश्यकचूर्णि, भा.2, पृ. 13 संजमुज्जेण । 34. गीता, 18/66 35. सूत्रकृतांगसूत्र, 1/16 36. आवश्यकवृत्ति, पृ. 661-662 उद्धृत- अनुत्तरोपपातिक दशा भूमिका, पृ. 24 37. नियमसार, गा. 134-140 38. एगदुगतिसिलोगा (थुइओ) अन्नेसिं जाव हुंति सत्तेव । देविंदत्थवमाई तेण, परं थुत्तया होंति ॥ भा. 2, पृ. 394 उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 581 39. सक्कय भासाबद्धो, गंभीरत्थो थओत्ति विक्खाओ । पायय भासाबद्ध, थोत्तं विविहेहिं छंदेहिं ॥ चैत्यवन्दन महाभाष्य, 841 40. स्व स्वरूपानुसन्धानं भक्तिः । नमन और पूजन, पृ. 12 41. आवश्यकभाष्य, 192 42. उत्तराध्ययननियुक्ति (नियुक्तिपंचक), 11/308-309 43. नन्दी मलयगिरि टीका, पत्र 2 - 3 44. सुबोधा सामाचारी, पृ. 5 45. लोकस्य चतुर्दशद्वारात्मकस्य । आचारदिनकर, पृ. 265 46. लोयदि आलोयदि पल्लोयदि, सल्लोयदिति एगत्थो । जह्मा जिणेहिं कसिणं, तेणे सो वुच्चदे लोओ ॥ मूलाचार, गा. 542 की टीका
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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