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________________ सामायिक आवश्यक का मौलिक विश्लेषण ...49 तटस्थ भावनाओं का झरना • जैनत्व की पहचान • अपूर्व शान्ति प्राप्त करने का संकल्प • पवित्रता का प्रतीक • मानवता के चरम विकास का सर्वोच्च साधन • बच्चों के लिए सुसंस्कार • युवकों के लिए पुरुषार्थ • नारी के लिए श्रृंगार • मानव का आदर्श • शाश्वत आनंद प्राप्त करने का गुप्त मंत्र • आत्मा का स्वास्थ्य • निजानंद की मस्ती • 2880 सैकेण्ड की शांत मनो भूमिका • मुक्ति का राजमार्ग और • समस्त प्राणियों के सुख का आधार है। सार रूप में कहें तो स्वयं की स्वयं में उपस्थिति होना सामायिक है। सामायिक के पर्यायवाची नियुक्तिकार भद्रबाहुस्वामी ने सम्यक्त्व, श्रुत और चारित्र- इन तीनों प्रकार की सामायिकों के समानार्थी शब्दों (निरुक्तियों) का उल्लेख किया है। सम्यक्त्व सामायिक के सात पर्यायवाची बतलाये हैं- 1. सम्यग्दृष्टिप्रशस्त दृष्टि 2. अमोह-अनाग्रह 3. शोधि-मिथ्यात्व का विलय 4. सदभाव दर्शन-जिन प्रवचन की उपलब्धि 5. बोधि-परमार्थ का बोध 6. अविपर्ययतत्त्व स्वरूप का निश्चय 7. सुदृष्टि-यथार्थ समझ।23 श्रुतसामायिक के निम्न सात एकार्थवाची कहे गये हैं- 1. अक्षर 'न क्षरति, न चलति इत्यक्षरम्' जो नाश को प्राप्त नहीं होता, वह अक्षर कहलाता है। ज्ञान अक्षर रूप होने से जीव का स्वभाव है अत: श्रुतज्ञान स्वयं ज्ञानात्मक है, इस तरह का बोध होना 2. संज्ञी- संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवों का श्रुत। 3. सम्यक- सम्यग्दृष्टि जीवों का श्रुत 4. सादि- जिस श्रुत की आदि हो 5. सपर्यवसित- जिस श्रुत का अन्त हो 6. गमिक- कुछ विशेषताओं के कारण जित श्रुत (सूत्र) को आदि, मध्य और अवसान में बार-बार कहा जाता हो 7. अंगप्रविष्ट- तीर्थंकरों द्वारा उपदिष्ट एवं गणधरों द्वारा गुम्फित श्रुत। ये सातों पद सप्रतिपक्षी हैं। श्रुतज्ञान के चौदह भेदों में भी उक्त सात पद की गणना की गयी है।24 चारित्र सामायिक के दो भेद हैं- (i) देशविरति और (ii) सर्वविरति। देशविरति सामायिक के छ: पर्याय निम्न हैं- 1. विरताविरत 2. संवृतासंवृत 3. बालपंडित 4. देशैकदेशविरति 5. अणुधर्म और 6. आगार धर्म।25 सर्वविरति सामायिक के आठ पर्यायवाची निम्नानुसार हैं1. सामायिक- जिसमें सम-मध्यस्थ भाव की आय-उपलब्धि होती है,
SR No.006248
Book TitleShadavashyak Ki Upadeyta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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