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168...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण
. स्त्री के वस्त्र का संघट्टा होने पर तथा उसके साथ किञ्चित बातचीत कर लेने पर 100 गाथा परिमाण स्वाध्याय करने का प्रायश्चित्त आता है।
• जिनालय और उपाश्रय में प्रवेश करते समय 'निसीहि' बाहर निकलते समय 'आवस्सही' शब्द न बोलने पर, दण्ड की प्रतिलेखना न करने पर, समिति और गुप्ति धर्म की विराधना करने पर तथा गुणसम्पन्न की निन्दा करने पर नीवि का प्रायश्चित्त आता है।
वर्षावास सम्बन्धी- वर्षावास काल के लिए गृहीत पीठ-फलक आदि को पुन: नहीं लौटाने पर पुरिमड्ढ का प्रायश्चित्त आता है।
• वर्षा गिरते समय लाए हुए आहार का परिभोग करने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है।
• वर्षा गिरते वक्त रुक्ष खाद्य वस्तुओं का परिष्ठापन करने पर पुरिमड्ढ का प्रायश्चित्त आता है।
• वर्षा गिरते वक्त स्निग्ध आर्द्र वस्तुओं का परित्याग करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• वर्षाकाल आदि में रजोहरण की प्रतिलेखना न करने पर पुरिमड्ढ का प्रायश्चित्त आता है।
• प्रतिलेखना आदि आवश्यक क्रियाओं में मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना न करने पर नीवि का प्रायश्चित्त आता है।
• डोरी, पात्रबन्ध, तिरपनी, मुखवस्त्रिका आदि रात्रिभर खाद्य पदार्थों से खरड़ित रह गये हों तो उपवास का प्रायश्चित्त आता है। __ गमनागमन सम्बन्धी- शारीरिक अस्वस्थता आदि कारणों से वाहन में योजन पर्यन्त गमन करने पर, योजन प्रमाण मर्यादा का बार-बार उल्लंघन करने पर तथा योजन परिमाण मार्ग को ईर्यासमिति पूर्वक नहीं शोधने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
•विशेष कारण में स्वस्थ मुनि के द्वारा वाहन में योजन पर्यन्त गमन करने पर बेले का प्रायश्चित्त आता है।
• गमनागमन में लगे हुए दोषों की आलोचना न करने पर, ईर्यापथिक प्रतिक्रमण न करने पर, सन्ध्याकाल में पाणहार का प्रत्याख्यान न करने पर, बड़ीनीति एवं लघुनीति परिष्ठापित करने योग्य भूमि की प्रतिलेखना न करने पर