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166...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण
पुनः मिल जाये अथवा उस उपधि की प्रतिलेखना करना भूल जायें तो नीवि का प्रायश्चित्त आता है।
• औधिक एवं औपग्रहिक सम्बन्धी मध्यम उपधि गुम होकर पुन: मिल जाये अथवा उस उपधि की प्रतिलेखना करना रह जाये तो पुरिमड्ढ का प्रायश्चित्त आता है।
• औधिक एवं औपग्रहिक सम्बन्धी उत्कृष्ट उपधि भी गम होकर पुनः मिल जाये अथवा उस उपधि की प्रतिलेखना करना रह जाये तो एकासना का प्रायश्चित्त आता है।
• पूर्वोक्त सर्व प्रकार के उपधि की प्रतिलेखना न करने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है।
औधिक एवं औपग्रहिक सम्बन्धी जघन्य उपधि में से किसी भी उपधि के गुम जाने पर तथा वर्षा प्रारम्भ होने से पहले उपधि का प्रक्षालन कर लेने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• जघन्य उपधि से सम्बन्धित किसी प्रकार का उपकरण गुम हो जाने पर और उसका गुरु से निवेदन न करने पर एकासना का प्रायश्चित्त आता है।
• मध्यम उपधि का कोई भी उपकरण गुम हो जाये और उसका गुरु से निवेदन न करने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है।
• उत्कृष्ट उपधि का कोई भी उपकरण गुम हो जाये और उस सम्बन्ध में गुरु को सूचित न करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• आचार्य आदि द्वारा नहीं दी गई जघन्य उपधि का उपयोग करने पर तथा गुरु को बिना पूछे ही अन्य साधु को देने पर एकासना का प्रायश्चित्त आता है।
• मध्यम उपधि के सम्बन्ध में पूर्ववत दोष लगने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है।
• उत्कृष्ट उपधि के सम्बन्ध में पूर्ववत दोष लगने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• पूर्वोक्त समस्त प्रकार की उपधि के नष्ट होने एवं गुम जाने पर छट्ठ का प्रायश्चित्त आता है।
अहोरात्रचर्या सम्बन्धी- शिथिलाचारी मुमुक्षु को प्रव्रजित करने पर, शिथिलाचारी मुनि के साथ विहार करने पर तथा स्त्री एवं तिर्यंच के साथ मैथुन