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________________ जैन एवं इतर साहित्य में प्रतिपादित प्रायश्चित्त विधियाँ...165 उपधि सम्बन्धी- साढ़े तीन हाथ के अवग्रह के भीतर मुखवस्त्रिका नीचे गिर जाये तो नीवि का प्रायश्चित्त आता है। • एक हाथ परिमाण अवग्रह के भीतर रजोहरण नीचे गिर जाये तो उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • मुखवस्त्रिका के गुम जाने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • रजोहरण के गुम जाने पर छट्ठ (बेला) का प्रायश्चित्त आता है। • मुखवस्त्रिका को मुख के अग्रभाग पर रखे बिना वार्तालाप करने पर नीवि का प्रायश्चित्त आता है। (i) औधिक उपधि- जघन्य-मध्यम-उत्कृष्ट के भेद से उपधि तीन प्रकार की कही गई है जघन्य उपधि-मुखवस्त्रिका, पात्र केशरिका (पात्र पोछने का वस्त्र). गोच्छक (पात्र प्रमार्जन करने का साधन), पात्रस्थापन (पात्र रखने योग्य वस्त्र)ये जघन्य उपधि कहलाते हैं। मध्यम उपधि-पटलक (भिक्षाटन करते वक्त पात्र के ऊपर ढंकने का वस्त्र), रजस्त्राण (धूल से रक्षा करने एवं पाँव के ऊपर वेष्टन करने का वस्त्र), पात्रबन्धक (पात्र बाँधने का वस्त्र), चोलपट्ट (मुनि का अधोभागीय वस्त्र), मात्रक (लघुनीति करने का पात्र) और रजोहरण- ये मध्यम उपधि हैं। उत्कृष्ट उपधि- आहार, मात्रक और कफ संबंधी पात्र को उत्कृष्ट उपधि कहा गया है। उपरोक्त तीनों प्रकार की उपधि औधिक उपधि कहलाती है। (ii) औपग्रहिक उपधि-औपग्रहिक उपधि भी तीन प्रकार की होती है जघन्य उपधि- पीठ फलक, आसन, डंडा, पादपोंछन आदि जघन्य औपग्रहिक उपधि हैं। __ मध्यम उपधि-पाँच प्रकार के वस्त्र, पाँच प्रकार के डंडा, तीन प्रकार के मात्रक, तीन प्रकार के चर्म, संस्तारक, उत्तरपट्टा आदि मध्यम औपग्रहिक उपधि हैं। उत्कृष्ट उपधि-स्थापनाचार्य, पाँच प्रकार की पुस्तक आदि उत्कृष्ट औपग्रहिक उपधि हैं। ऊपर वर्णित औधिक एवं औपग्रहिक सम्बन्धी जघन्य उपधि गुम होकर
SR No.006247
Book TitlePrayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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