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160...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण वरिसारंभं विणा धोविए उ.। गमिऊणं गुरुणो अणिवेदिए य ए.। मज्झिमे आं.। उक्किट्ठे उ.। आयरियाईहिं अदिन्नं जहन्नमुवहिं धारयंतस्स भुंजंतस्स वा गुरुमणापुच्छिय अन्नेसिं दितस्स य ए.। मज्झिमे .। उक्किट्ठे उ.। सव्वोवहिम्मि नासियाइगमेसु छटुं। ओसन्नपव्वावियस्स ओसन्नया विहारिस्स इत्थी-तिरिच्छीमेहुणसेविणो य मूलं। सावज्जसुविणे काउस्सग्गे उज्जोयगरचाउक्कचिंतणं। माणुस-तिरिक्खजोणीए पडिमाए य पुग्गलनिसग्गाइमेहुणसुविणे पुण उज्जोयचउक्कं नमोक्कारो य चिन्तिज्जइ। मयंतरेण सागरवरगम्भीरा जाव। सुमिणे राइभोयणे उ.। निक्कारणं धावणे डेवणे, समसीसियागमणे, जमलियजाणे, चउरंग-सारि-जूयाइकीलाए, इंदजाल-गोलयाखिल्लणे, समस्सा-पहेलियाईसु उक्कुट्ठीए गीए सिंठियसद्दे मोर-अरहट्टाइ जीवाजीवरुए, सूइमाइलोहनासे उ.। उवविठ्ठए पडिक्कमणे आं.। दगमट्टियागमणे आं.। बाघारे आं.। तसपायाइभंगे आं.। अपडिलेहियठवणायरियपुरओ अणुट्ठाणकरणे पु.। इत्थीए अवयव फासे आं.। वत्थप्फासे नि.। अंगसंघट्टे नि.। अबहुवयणे य सज्झाय 1001 आवस्सिया निसीहिया अकरणे दंडगअप्पडिलेहणे समिइगुत्तिविराहणे गुणवंतनिंदणे नि.। वासावासग्गहियं पीढफल गाइ न समप्पेइ पु.। वरिसंतसमाणियभत्तादिपरिभोगे आं.। रुक्खपरिट्ठावणे . पु.। सिणिद्धपरिट्ठावणे उ.। रयहरणस्स अपडिलेहणे पु.। मुहपोत्तीयाए नि.। दोरए पत्तबंधे तेप्पणए मुहणंतए य खरडिए उ.। गंतीजोयणगमणे गमणियाजोयणपरिभोगे जोयणमचक्खुविसए उ.। आभोगेणं जोयणमित्ते गंतीगमणे छटुं हट्ठाणं। गमणागमणं न आलोएइ, इरियावहियं न पडिक्कमइ, वियालवेलाए पाणगं न पच्चक्खाइ, उच्चारपासवणकालभूमीओ एगरत्तं न पडिलेहइ नि.। सीसदुवारियं करेइ पु.। गरुलपक्खं पाउणइ उ.। एगओ दुहओ वा कप्पअंचला खंधारोविया गरुलपक्खं। बोडिय-खुड्डयाणं व उत्तरासंगे उ.। चोलपट्टयकच्छादाणे उ.। चउप्फलं मुक्कलं वा कप्पं खंधे करेइ पु.। दो वि बाहाओ छायंतो संजइपाउरणेणं पाउणइ आं.। गिहिलिंग-अन्नतित्थियलिंगकप्पकरणे मूलं। ओगुडिं चउफलकप्पं वा हत्थोखित्तदंडएण वा सिरे कप्पं करेइ पु.। उत्तरासंगं न करेइ, अचित्तं लसुणं भक्खेइ, तण्णयाइ उम्मोएइ पु.। गंठिसहियं नासेइ