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124...प्रायश्चित्त विधि का शास्त्रीय पर्यवेक्षण . . दिशापरिमाणव्रत का भंग होने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• भोगोपभोगपरिमाणव्रत का खण्डन होने पर छट्ठ = बेले का प्रायश्चित्त आता है।
• असावधानीवश या अचानक मद्य, मांस, मधु एवं मक्खन इन चार महाविगयों का सेवन करने पर उपवास तथा इन चारों का निर्दय भाव से परिभोग करने पर पंचकल्लाण (दस उपवास) अथवा अट्टम (तेला) का प्रायश्चित्त आता है। . . जमीकन्द का भोग करने पर एवं उन जीवों को अत्यधिक कष्ट पहँचाने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
. निष्प्रयोजन रात्रिभोजन करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• सचित्त का त्याग करने के पश्चात प्रत्येक वनस्पति का परिभोग करने पर आयंबिल का प्रायश्चित्त आता है।
• पन्द्रह कर्मादान सम्बन्धी नियम का भंग होने पर आयंबिल, उपवास अथवा छट्ठ का प्रायश्चित्त आता है।
• गृहस्थ के लिए प्रतिदिन धारण करने योग्य चौदह नियमों में द्रव्य, सचित्त, अशन, पान, खादिम, स्वादिम, विलेपन, पुष्प आदि के सम्बन्ध में गृहीत मर्यादा का भंग होने पर पुरिमड्ढ का प्रायश्चित्त आता है।
. विगय मर्यादा का भंग होने पर अथवा नियम से अधिक विकृति का सेवन करने पर नीवि का प्रायश्चित्त आता है।
• चौदह नियमों में स्नान सम्बन्धी मर्यादा का उल्लंघन होने पर आयंबिल अथवा उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• पाँच प्रकार के उदुम्बर आदि फल का सेवन करने पर एवं भोगोपभोग व्रत का भंग होने पर अट्ठम का प्रायश्चित्त आता है। -- • ग्रहण किए गए प्रत्याख्यान का भंग होने पर अट्ठम का प्रायश्चित्त आता है।
• गृहीत प्रत्याख्यान के नियमों का पालन न करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है।
• निष्प्रयोजन दिन में शयन करने पर उपवास का प्रायश्चित्त आता है। • नवकारसी-पौरुषी-साढपौरुषी-पुरिमार्ध-बीयासना-एकासना-विकृति