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________________ प्रायश्चित्त दान की उपयोगिता एवं उसके प्रभाव...49 एवं प्रतिक्रमण तीसरे प्रकार के शल्य में व्रणमर्दन और कर्णमलपूरण चिकित्सा के समान है। 4. उद्गम आदि दोषों से युक्त आहार ले लिया जाए और उसके पश्चात सही जानकारी प्राप्त हो तो उस आहार का विसर्जन करने से मुनि शुद्ध हो जाता है। यह विवेक प्रायश्चित्त रूप चिकित्सा चतुर्थ शल्य के समान है। जैसे- चौथे प्रकार के शल्योद्धरण में थोड़ा रक्त निकालकर बाहर कर देते हैं वैसे ही इस प्रायश्चित्त में अशुद्ध भोजन का परित्याग कर भावव्रण को दूर किया जाता है। ___5. गमनागमन, स्वप्न, नदी पार करने आदि क्रियाओं में लगे दोष कायोत्सर्ग से दूर हो जाते हैं। यह कायोत्सर्ग प्रायश्चित्त रूप चिकित्सा पाँचवें शल्य के समान है। वहाँ चलने आदि की क्रिया का निषेध करते हैं वैसे ही यहाँ कायोत्सर्ग द्वारा शरीर को स्थिर रखा जाता है। 6. मूलगुण- उत्तरगुण में अतिचार लगने पर तदनुरूप तप करने से आत्मा की परिशद्धि हो जाती है। यह तप नाम का प्रायश्चित्त पूर्वोक्त छठवें शल्य चिकित्सा के समान है। जैसे छठवें प्रकार के शल्य का उद्धरण करने के लिए परिमित आहार अथवा आहार का सर्वथा त्याग करवा दिया जाता है वैसे ही इस प्रायश्चित्त रूप चिकित्सा में नीवि आदि का रूक्ष आहार अथवा उपवास आदि करते हैं। 7. शासन विरुद्ध आचरण करने पर एवं तप योग्य प्रायश्चित्त का अतिक्रमण होने पर संयम पर्याय में पाँच दिन आदि की कमी कर देने से कत पापों का मोचन हो जाता है। यह छेद नाम का सातवाँ प्रायश्चित्त सातवें प्रकार के शल्योद्धरण के सदृश है। जैसे- सातवें प्रकार के शल्य में शेष अंगों को सुरक्षित रखने हेतु दूषित स्थान को हड्डी-मांस आदि के साथ काटकर पृथक् कर दिया जाता है। वैसे ही इस प्रायश्चित्त रूप चिकित्सा में तप से भी भावव्रण दूर न हो तो दूषित अंग आदि के समान दीक्षा पर्याय का छेद कर देते हैं। आचार्य हरिभद्रसूरि के मतानुसार अपराध शुद्धि के निमित्त दीक्षा पर्याय कम करने से साधु का दूषित अध्यवसाय दूर होता है क्योंकि संयम पर्याय छेदने से उसमें संवेग, निर्वेद आदि गुण उत्पन्न होते हैं। इन गुणों के फलस्वरूप वह शुद्ध होता है।
SR No.006247
Book TitlePrayaschitt Vidhi Ka Shastriya Sarvekshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages340
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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