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100... तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
122. धर्मरत्नप्रकरण, 1
123. वेयावच्चंवावडभावो, तह धम्मसाहण णिमित्तं । अन्नाइयाण विहिणा, संपाउणमेस भावत्थो ||
124. ओघनिर्युक्तिभाष्य, 133-134
125. (क) स्थानांगसूत्र, 10/17
उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 609
(ख) भगवतीसूत्र, 25/7/235 (ग) दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 15
126. भत्तेपाणे सयणासणे य, पडिलेहण पायमिच्छमद्धाणे । शया तेणं
दंडग्गहे,
गेलव्वामत्ते
य ॥
व्यवहारभाष्य, गा. 4677
127. तत्त्वार्थसूत्र, 5/21
128. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/44 129. ज्ञाताधर्मकथा, 8/14
130. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/5 131. ओघनिर्युक्ति, 534,537
132. ओघनियुक्ति टीका, पत्र 39
133. स्थानांगटीका, 5/3/465
134. आवश्यकसूत्र, अध्ययन 4 की टीका
135. जैन धर्म में तप स्वरूप और विश्लेषण, पृ. 456
136. आवश्यकचूर्णि, भा. 2, पृ. 7-8
137. उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 584
138. (क) उत्तराध्ययनसूत्र, 30 / 34 (ख) तत्त्वार्थसूत्र, 9/25
139. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 586
140. नीतिवाक्यामृत, 5/35
141. उत्तराध्ययन सूत्र, 26/10
142. वही, 29/19
143. चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र, 91