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________________ तप के भेद-प्रभेद एवं प्रकारों का वैशिष्ट्य...101 144. बृहत्कल्पभाष्य, गा. 1169 145. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/20-24 146. उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 586 147. दशवैकालिकसूत्र, 9/4/3 148. स्थानांगसूत्र, 5/3/223 149. तत्त्वार्थराजवार्तिक, 9/25 150. तैत्तिरीय आरण्यक, 2/14 151. तैत्तिरीयोपनिषद्, 1/11/1, पृ. 24 152. स्वाध्यायादिष्ट देवता सम्प्रयोगः। पातञ्जलयोगदर्शन, 2/44 153. “उत्तमसंहननस्यैकाग्रचिन्तानिरोध ध्यानमन्तर्मुहूर्तम्।” तत्त्वार्थसूत्र, 9/27 154. अभिधान चिन्तामणि कोष, 1/84 155. आवश्यकनियुक्ति, गा. 1477 156. "तत्र पत्ययैकगतानता ध्यानम्।" पातञ्जलयोगदर्शन, 3/2 157. विसुद्धिमग्गो, पृ. 141-151 158. पातञ्जलयोगदर्शन, पृ. 35 159. वही, 1/1 160. आवश्यकनियुक्ति, 1481-82 161. तत्त्वार्थसूत्र, 9/31-34 162. (क) भगवतीसूत्र 25/7/239 (ख) स्थानांगसूत्र, 4/1/62 (ग) ध्यानशतक, 15 163. ध्यानशतक, 18 164. 'रोदयत्यपरानिति रूद्रः- प्राणिवधादिपरिणत आत्मैव तस्येदं कर्म रौद्रम् ।' उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 609 165. (क) तत्त्वार्थसूत्र, 9/36 (ख) ध्यानशतक, 19-22, 24 166. ध्यानशतक, 26 167. (क) भगवतीसूत्र, 25/7/242 (ख) स्थानांगसूत्र, 4/1/65 (ग) औपपातिकसूत्र, 30
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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