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________________ 98...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक 90. बृहत्कल्पसूत्र, उद्देशक 4 91. स्थानांगसूत्र, 5/1/47 92. उत्तराध्ययनसूत्र, 29/17 93. उत्तराध्ययनसूत्र, 1/15 94. वही, 1/16 95. वही, 1/27 96. वही, 1/29 97. वही, 1/9 98. (क) आवश्यकनियुक्ति, 1231 (ख) उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 16 99. प्रवचनसारोद्धार टीका, द्वार 270 की टीका 100. अब्भुट्ठाणं अंजलिकरणं, तहेवासणदायणं । गुरुभत्ति भावसुस्सूसा, विणओ एस वियाहिओ।। उत्तराध्ययनसूत्र, 30/32 101. विणओवयार माणस्स, भंजणा पूयणा गुरुजणस्स। तित्थयराण य आणा, सुयधम्मराहणा किरिया ॥ विशेषावश्यकभाष्य, 3469 102. जैन धर्म में तप स्वरूप और विश्लेषण, पृ. 423 103. भगवतीसूत्र, 25/7/219 104. स्थानांगसूत्र, 7/130 105. (क) औपपातिकसूत्र, 30 ___ (ख) विणओ सत्तविहो तं जहा -दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 14 106. (क) औपपातिकसूत्र, 30 (ख) दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 14 (ग) भगवतीसूत्र, 25/7/220 107. (क) औपपातिकसूत्र, 30 (ख) दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 15 (ग) भगवतीसूत्र, 25/7/221-222 108. (क) दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ.15 (ख) भगवतीसूत्र, 25/7/223
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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