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तप के भेद - प्रभेद एवं प्रकारों का वैशिष्ट्य...95
46. (क) पेडा य अद्धपेडा, गोमुत्तिय पयंग वीहिया चेव । गंतु पच्चागया
संबुकावट्टायय,
छट्ठा ॥
(ख) उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 605 47. संसट्ठमसंसट्ठा, उद्घड तह अप्पलेवडा चेव । उग्गहिया पग्गहिया, उज्झियधम्मा य सत्तमिया ॥
48. वही, पत्र 607
49. भिक्खायरिया अणेग विहा पण्णत्ता, तं जहा उक्खित्तचरए, णिक्खित्तचरए ... संखादत्तिए से तं भिक्खायरिया । औपपातिकसूत्र, सूत्र 30
50. भगवतीसूत्र, 5/6/2
51. (क) तत्र मनसो विकृतिहेतुत्वाद् विगति हेतुत्वाद् वा विकृतयो, विगतयो । प्रवचनसारोद्धार टीका, प्रत्याख्यान द्वार
(ख) मनसो विकृति हेतुत्वाद् विक्तयः योगशास्त्र टीका तीसरा प्रकाश
52. उत्तराध्ययनसूत्र, 17/15
53. जैन धर्म में तप स्वरूप और विश्लेषण, पृ. 272
54. उत्तराध्ययनसूत्र, 7/11 55. रसेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं,
अकालियं पावइ से विणासं ।
रागाउ वडिस - विभिन्नकाए
उत्तराध्ययन शान्त्याचार्य टीका, पत्र 607
मच्छे जहा आमिस भोगगिद्धे ॥
56. रमा पगामं न निसेवियव्वा
पायंरसा दित्तिकरा नराणं । दित्तं च कामा समभिद्दवंति
दुमंजहा साउफलं व पक्खी ॥
57. जहा दवग्गी पउरिंधणे वणे,
वही, 30/19
समारूओ नोवसमं उवेइ । एविंदियग्गो वि पगाम भोइणो,
न बंभयारिस्सहियाय कस्सइ ॥
वही, 32/63
वही, 32/10
वही,
32/11