________________
94...तप साधना विधि का प्रासंगिक अनुशीलन आगमों से अब तक
29. औपपातिकसूत्र, तप अधिकार, सूत्र 42 30. दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 13 31. उत्तराध्ययनसूत्र, 30/24 32. मनुस्मृति, 2/57 33. स्थानांगसूत्र, 9/13 34. गुणाश्च पण्मित भुक्तं भजन्ते
आरोग्यमायुश्च बलं सुखं च। अनाविलं चास्य भवत्यपत्यं न चैनमाधून इति क्षिपन्ति ।
विदुरनीति, 37/34, पृ. 47 35. मूलाराधना, 3/211, पृ. 428 36. (क) कल्पसूत्र, साधुसमाचारी सू. 59, पृ. 393
(ख) बृहत्कल्पभाष्य, मुनि दुलहराज, 11/35 37. तत्त्वार्थसूत्र, 9/19 38. (क) उत्तराध्ययनसूत्र, 30/25
(ख) दशवैकालिकसूत्र, 5/1/3 (ग) आचारांगसूत्र, 2/1 (घ) गोरिव चरणं गोचरः...
__हारिभद्रीय टीका, पत्र 163 (ङ) दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 167-168 39. दशवैकालिकसूत्र, 1/5 40. दशवैकालिक अगस्त्यचूर्णि, पृ. 167-168 41. दशवैकालिकसूत्र, 1/2 | 42. धम्मपद (पुप्फवर्ग), 4/6 43. जैन आचार : सिद्धान्त और स्वरूप, पृ. 553 44. सर्वसम्पत्करी चैका, पौरुषघ्नी तथा परा। वृत्ति भिक्षा च तत्त्वज्ञैरिति भिक्षा विधोदिता ॥
अष्टकप्रकरण, 5/1 45. अट्ठविहगोयरग्गं तु, तदा सत्तेव एषणा । अभिग्गहा य जे अन्ने, भिक्खायरिय माहिया ।
उत्तराध्ययनसूत्र, 30/25