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________________ तप के भेद - प्रभेद एवं प्रकारों का वैशिष्ट्य...91 (viii) अकाम तप तप की इच्छा किये बिना ही परवशता आदि के कारण भूखा रहना, धूप आदि के कष्ट सहना, नंगे पैर चलना, दिन-रात कायिक कष्ट भुगतना, कटु शब्द सुनना आदि अकाम तप कहलाता है । तिर्यञ्च गति के जीव परवशता से जीवन पर्यन्त नानाविध कष्ट सहते हैं। हम देखते हैं मजदूर जैसे साधारण प्राणी भी दिन भर श्रम करते हैं, भूख आदि के कष्ट भोगते हैं फिर भी इन लोगों का तप अकाम तप कहलाता है। - अन्य तप के भेद पूर्ण दिन की अपेक्षा इत्वरिक अनशन के कई भेद हैं जैसे- उपवास, बेला, तेला, चोला, पंचोला इस प्रकार एक दिन बढ़ाते हुए छह मास तक उपवास करना। प्रतिदिन के दो-दो भक्त की गिनती करते हुए इन तपों की अन्य संज्ञाएँ बनती हैं जैसे- छट्ठ, अट्ठम, द्वादश भक्त आदि। कुछ प्रसिद्ध तपों की संज्ञा निम्न हैं जैसे- अठाई, पक्षक्षमण, मासक्षमण, चातुर्मासी तप, छहमासी तप आदि । न्यून दिन की अपेक्षा से भी इत्वरिक अनशन के कई भेद हैं (i) सूर्योदय सापेक्ष - सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के प्रत्याख्यान जैसे- नवकारसी, पौरुषी, साढ़पौरुषी आदि सूर्योदय सापेक्ष तप कहलाते हैं। (ii) सूर्यास्त सापेक्ष - सूर्यास्त से सूर्योदय तक के प्रत्याख्यान जैसेदिवसचरिम, चउविहार, पाणहार, दुविहार आदि सूर्यास्त सापेक्ष तप कहलाते हैं। (iii) काल सापेक्ष - जिसमें सूर्य उदय और सूर्य अस्त की अपेक्षा न होकर मात्र काल की प्रधानता हो जैसे गंठिसहित, मुट्ठिसहित प्रत्याख्यान अथवा घंटे-घंटे के प्रत्याख्यान करना काल सापेक्ष तप है। (iv) आहार सापेक्ष- जिसमें आहार- अनाहार दोनों की प्रधानता हो अथवा अमुक बार भोजन उपरान्त आहार का त्याग करना जैसे- एकासना, बीयासना, नीवि, आयंबिल आदि आहार सापेक्ष तप कहलाते हैं। इस तरह अनेक दृष्टियों से जो शारीरिक कष्ट सहे जाते हैं उन्हें तद्योग्य भावना के साथ जोड़ने से उसी प्रकार का तप हो जाता है, किन्तु सर्व प्रकार के तपों में वीतराग तप ही श्रेष्ठ और कल्याणकारी है। तप आत्मशोधन का महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक उपाय है। इस आवश्यक मार्ग का अनुसरण प्रत्येक जीव के लिए जरूरी है। इसी तथ्य को ध्यान में रखते
SR No.006246
Book TitleTap Sadhna Vidhi Ka Prasangik Anushilan Agamo se Ab Tak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages316
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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