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________________ जैन आगम : एक परिचय ...41 उत्तराध्ययन में छत्तीस अध्ययन हैं। जिनमें विनय, संयम, तप, धर्म, रत्नत्रय, मोक्षमार्ग, परीषह आदि साध्वाचार सम्बन्धी सभी विषय उपलब्ध हैं। इस सूत्र में जीवन की दुर्लभता, देह की अनित्यता, मरण प्रकार, कर्मप्रकृति, बहुश्रुतता, लेश्या आदि अन्य आवश्यक विषयों का भी प्रतिपादन है। इस आगम में महावीर की अन्तिम देशना संकलित है, ऐसा भी माना जाता है। अभी यह आगम 2000, 2300 अथवा 2100 श्लोक संख्या से युक्त है। 2. दशवैकालिकसूत्र - मूलसूत्रों में दशवैकालिक का द्वितीय स्थान है। नन्दीसूत्र122 एवं पक्खीसूत्र 123 आदि में प्राप्त वर्गीकरण के अनुसार उत्कालिक सूत्रों में इसका प्रथम स्थान है। इसमें दस अध्ययन हैं और उनमें मुनि जीवन के आचार एवं गोचरी सम्बन्धी नियमों का प्रतिपादन किया गया है। इसकी रचना विकाल में हुई, इसलिए इसका नाम दशवैकालिक है, किन्तु उत्कालिक सूत्रों में इसकी गणना होने से प्रतीत होता है कि यह सूत्र विकाल में भी पढ़ा जा सकता है अत: इसका नाम दशवैकालिक है। यह रचना श्रुतकेवली शय्यंभवसूरि ने अपने पुत्र मनक के लिए की थी। इसका रचनाकाल वीर संवत 72 के आस-पास का है । दशवैकालिक यह सूत्र पाँचवें आरे के अंत तक विद्यमान रहेगा ऐसा भी उल्लेख प्राप्त होता है। संयम धर्मोन्मुख श्रावक-श्राविका वर्ग दशवैकालिक के चार अध्ययनों के मूल पाठ का एवं पाँचवें अध्ययन का केवल अर्थबोध प्राप्त कर अध्ययन कर सकते हैं- ऐसा अनेक ग्रन्थों में कहा गया है। इससे अधिक आगम सूत्रों के पठन का (पंचांगी सहित) अधिकार श्रावक-श्राविका वर्ग को नहीं है। वे केवल श्रवण के अधिकारी हैं। वर्तमान में इस सूत्र का सर्वाधिक महत्त्व है। नवदीक्षित साधु-साध्वियों की साधना में भी यह शास्त्र अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है। वर्तमान में यह आगम 700 श्लोक परिमाण में है । 3. आवश्यकसूत्र - जो साधक के लिए अवश्य करणीय है, उनका वर्णन जिस सूत्र में किया गया हो उसका नाम आवश्यकसूत्र है । अवश्य करणीय छः कार्य हैं, इसलिए आवश्यकसूत्र के छः विभाग हैं- 1. सामायिक 2. चतुर्विंशतिस्तव 3. वन्दन 4. प्रतिक्रमण 5. कायोत्सर्ग और 6. प्रत्याख्यान । इसमें इन छः आवश्यकों का वर्णन होने से इसे षडावश्यक भी कहते हैं ।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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