________________
जैन आगम : एक परिचय ...39 महाकण्ह, सुकण्ह, वीरकण्ह, रामकण्ह, पिउसेनकण्ह और महासेनकण्ह का वर्णन है। ____ इसमें राजा कोणिक एवं राजा चेटक के बीच हुए महाशिलाकण्टक-संग्राम का भी उल्लेख है तथा राजा श्रेणिक का जीवनवृत्त भी बताया गया है।
9. कल्पावतंसिकासूत्र- कल्प अर्थात देवलोक, अवतंसिका अर्थात निवास करने वाले। इसमें देवलोक में निवास करने वाले जीवों का वर्णन होने से इसका नाम कल्पावतंसिका है। इसमें राजा श्रेणिक के दस पौत्रों- पद्म, महापद्म, सुभद्र, पद्मभद्र, पद्मसेन, पद्मगुल्म, नलिनीगुल्म, आनंद और नंदन का दीक्षा ग्रहण एवं उनके देवलोक गमन का वर्णन है। इस आगम में यह बताने का प्रयत्न किया गया है कि श्रेणिक के कालकुमार आदि दस पुत्र कषाय के वशीभूत होकर नरकगामी बनते हैं वहीं श्रेणिक के पौत्र एवं उक्त दस कुमारों के दस पुत्र संयम ग्रहण कर कषाय विजयी होकर देवगति को प्राप्त करते हैं। इस प्रकार व्यक्ति का उत्थान एवं पतन स्वयं के कर्मों पर आधारित है। ___ 10. पुष्पिकासूत्र- पुष्पिका विमान विशेष का नाम है। कुछ देव पुष्पिका नामक विमान में बैठकर भगवान महावीर के दर्शनार्थ जाते हैं और नाटक आदि द्वारा प्रभु की भक्ति करते हैं अत: इसका नाम पुष्पिका है। इसके तीसरे वर्ग में दस अध्ययन हैं। इनमें चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका देवी, पूर्णभद्र, मणिभद्र, दत्त, शिव, बल और अनादृष्टि की कथाएँ हैं, ये सब देव हैं। ये देव परमात्मा महावीर के समक्ष उपस्थित होते हैं तब उनकी विशिष्ट ऋद्धि देखकर गौतम स्वामी प्रश्न करते हैं कि इनको यह ऋद्धि कैसे मिली? तब भगवान बताते हैं कि इन्होंने पूर्वभव में दीक्षा ली थी, किन्तु विराधना करने के कारण देवयोनि में उत्पन्न हुए हैं। यहाँ से च्यवकर ये महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेंगे और संयम पथ स्वीकार करके मोक्ष प्राप्त करेंगे।
इस प्रकार तीसरे वर्ग में संयम की आराधना और विराधना के फल का सुन्दर प्रतिपादन है। इस आगम की कथाओं में कौतुहल तत्त्व की प्रधानता है। इसमें पुनर्जन्म और कर्मसिद्धान्त का भी सम्यक विवेचन किया गया है। ___11. पुष्पचूलासूत्र- पुष्पचूला भी विमान विशेष का नाम है। इस चतुर्थ वर्ग में दस अध्ययन हैं। इनमें क्रमशः श्रीदेवी, ह्रीदेवी, धृतिदेवी कीर्तिदेवी,बुद्धिदेवी,लक्ष्मीदेवी, इलादेवी, सुरादेवी, रसदेवी और गंधदेवी की कथाएँ वर्णित हैं। ये सभी देवियाँ हैं, जो पूर्वभव में भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा