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18... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
अंगबाह्य
अंगप्रविष्ट ↓ व्याख्याप्रज्ञप्ति ज्ञाताधर्मकथा
वैनयिक कृतिकर्म
दशवैकालिक
उपासकदशा
उत्तराध्ययन
कल्पव्यवहार
अन्तकृतदशा अनुत्तरोपपातिकदशा
कल्पाकल्प
महाकल्प
पुंडरीक
महापुंडरीक
अशीतिका = 13
प्रश्नव्याकरण
विपाक
दृष्टिवाद = 12
परिकर्म
| चन्द्रप्रज्ञप्ति
सूर्यप्रज्ञप्ति
जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति
द्वीपसागरप्रज्ञप्ति
व्याख्याप्रज्ञप्ति
सूत्र प्रथमानुयोग पूर्वगत
चूलिका
कल्याण
जलगता
प्राणावाय स्थलगता
उत्पाद अग्रायणीय वीर्यानुप्रवाद क्रियाविशाल मायागता अस्तिनास्तिप्रवाद लोक बिन्दुसार आकाशगता
ज्ञानप्रवाद
रूपगता
सत्यप्रवाद
आत्मप्रवाद
कर्मप्रवाद
प्रत्याख्यानप्रवाद
विद्यानुप्रवाद
तृतीय वर्गीकरण
आगम साहित्य का तृतीय वर्गीकरण वीर निर्वाण की छठी शती में हुआ और यह विभाजन आर्यरक्षितसूरि ने अनुयोगों के आधार पर किया। आर्यरक्षित नौ पूर्व और दसवें पूर्व के 24 यविक के ज्ञाता एवं आचार्य तोसलिपुत्र के शिष्य अनुरूप अर्थ की योजना करना अनुयोग कहलाता है । आर्यरक्षित द्वारा किया गया विभागीकरण इस प्रकार है-66
थे। सूत्र के