________________
जैन आगम : एक परिचय ... 3
प्रतिवादी द्वारा अखण्डित हो, प्रत्यक्ष अनुमान आदि प्रमाणों से अविरुद्ध हो, वस्तु स्वरूप को बताने वाला हो और मिथ्या मार्ग का खण्डन करने वाला हो ऐसा सत्यार्थ का प्रतिपादक शास्त्र ही आगम है। 16
सारांश यह है कि पूर्वापर विरोध से रहित और सम्पूर्ण पदार्थों के द्योतक ऐसे आप्त के वचनों का संकलन आगम है।
आगम के एकार्थवाची नाम
अर्हत्मत में आगम के अन्य नाम भी प्राप्त होते हैं। प्राचीन ग्रन्थों में आगम के लिए 'श्रुत' शब्द का प्रयोग भी हुआ है, जिसका अर्थ है सुना हुआ। नंदीसूत्र में आगमों के लिए 'श्रुत' शब्द का ही प्रयोग है। 17 स्थानांगसूत्र में आगमकारों को 'श्रुतकेवली' एवं ' श्रुतस्थविर' कहा गया है। 18 अनुयोगद्वार एवं विशेषावश्यकभाष्य में आगम के लिए सूत्र, ग्रन्थ, सिद्धान्त, शासन, प्रवचन, आज्ञा, उपदेश, प्रज्ञापना आदि शब्दों का उल्लेख किया गया है। 19 आचार्य उमास्वाति ने श्रुत, आप्तकथन, आगम, उपदेश, ऐतिह्य, आम्नाय, प्रवचन, जिनवचन आदि शब्दों को 'आगम' कहा है। 20 भगवतीसूत्र में आगम के लिए 'प्रवचन' शब्द भी प्रयुक्त किया गया है। 21
धवला टीका में आगम, सिद्धांत और प्रवचन को एकार्थवाची बतलाया है। 22 इस प्रकार आगम शब्द के विभिन्न एकार्थक नाम उपलब्ध होते हैं। आगम के प्रकार
अनुयोगद्वार में आगम के तीन प्रकार बतलाए हैं- सूत्रागम, अर्थागम और तदुभयागम।23 आगम के अन्य तीन प्रकार ये भी बताए गए हैं- आत्मागम, अनंतरागम और परम्परागम | 24 तीर्थंकरों के लिए अर्थ आत्मागम है। गणधरों के लिए सूत्र आत्मागम है और अर्थ अनन्तरागम है। गणधरशिष्यों के लिए सूत्र अनंतरागम और अर्थ परम्परागम है। उसके बाद शेष सभी के लिए सूत्र और अर्थ दोनों ही परम्परागम है।
आगम के दो प्रकार निम्न रूप से भी उपदिष्ट हैं- 1. लौकिक आगम और 2. लोकोत्तर आगम।25 अज्ञानी, मिथ्यादृष्टि और स्वच्छन्द बुद्धि वाले व्यक्तियों द्वारा विरचित आगम लौकिक कहलाते हैं जैसे - महाभारत, रामायण, कौटिल्य अर्थशास्त्र, कापिल आदि । अर्हन्तों द्वारा प्रणीत आगम लोकोत्तर आगम है।