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350... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें।
दूसरे दिन योगवाही द्वितीय अध्ययन के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें तथा एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।
तीसरे दिन से लेकर दसवें दिन तक क्रमश: तृतीय से दसवें तक के अध्ययनों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया पूर्ववत करें। प्रतिदिन एकएक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।
ग्यारहवें दिन योगवाही प्रश्नव्याकरण श्रुतस्कन्ध के समुद्देश की क्रिया करें तथा एक कालग्रहण और आयंबिल तप करें। इसकी क्रिया विधि में सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें।
बारहवें दिन योगवाही प्रश्नव्याकरण के श्रुतस्कन्ध की अनुज्ञा करें तथा एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। शेष क्रियाएँ एक-एक बार करें।
तेरहवें दिन प्रश्नव्याकरणसूत्र के समुद्देश की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें एवं आयंबिल तप करें। शेष क्रियाएँ एक-एक बार करें।
नंदी
चौदहवें दिन प्रश्नव्याकरण सूत्र की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण लें, क्रिया और आयंबिल तप करें। शेष क्रियाएँ एक-एक बार करें।
श्री प्रश्नव्याकरणसूत्र - श्रुतस्कन्ध- 1, नंदी - 3, आउत्तवाणययुक्त, अंग- 10,
1
4
4
दिन
अध्ययन
| कायोत्सर्ग
तप
दिन
अध्ययन
कायोत्सर्ग
अं.उ., नंदी
श्रु.उ., अ. 1
5
आ.
12 2
3
नी.
33
3
नी.
F
121
आगाढ़ योग, दिन- 14, काल - 14, अध्ययन -
10
3
नी.
F
5 5
3
नी.
6 6
77
∞ ∞
E
8
10
11
13
14
10
श्रु. समु. श्रु. अनु. नंदी अं. समु. अं. अनु. नंदी
3
1
1
1
1
तप
नी.
आ.
आ.
आ.
आ.
• आचारदिनकर के अनुसार तप क्रम दशवैकालिकसूत्र के यन्त्रवत समझें।
8
3 3 3 3
नी. नी. नी. नी.
96
F
F