________________
दिन
वर्ग
योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि... 349
श्री अनुत्तरोपपातिकदशा- श्रुतस्कंध - 1, अनागाढ़ योग, दिन- 7, काल - 7, नंदी - 3, अंग - 9, वर्ग - 3
अध्ययन
अं.उ., नंदी
श्रु. उ. वर्ग-1
22
2
आ.7
31.6
3
3
आ. नी.
आ.5
अं.5
4
श्रु. समु.
आ.5
अं.5
कायोत्सर्ग 11
तप
नी.
• आचारदिनकर के अनुसार तप क्रम दशवैकालिकसूत्र के यन्त्रवत समझें। प्रश्नव्याकरणसूत्र योग विधि
• यह दसवाँ अंग सूत्र है । इसमें एक श्रुतस्कन्ध और दस अध्ययन हैं। ये दस अध्ययन उद्देशक रहित हैं। दस अध्ययन में दस दिन एवं दसवें अंगसूत्र के समुद्देश आदि में चार दिन, ऐसे इस सूत्र के योग कुल चौदह दिनों में पूर्ण होते हैं।
• प्रश्नव्याकरणसूत्र के दस अध्ययनों के नाम हैं- 1. हिंसा 2. मृषावाद 3. अदत्त 4. मैथुन 5. परिग्रह 6. अहिंसा 7. सत्य 8. अस्तेय 9. ब्रह्मचर्य 10 अपरिग्रह |
0
5
6
7
श्रु. अनु. अं. समु. अं. अनु.,
नंदी
नंदी
0
0
1
आ.
0
1
आ.
1
आ.
1
आ.
• विधिमार्गप्रपा के अनुसार इस सूत्र को भगवतीसूत्र के योग में यदि आउत्तवाणय पूर्वक वहन न किया हो और इसे अलग से वहन करते हों तो भगवती सूत्र के योग में निर्दिष्ट षष्ठ योग नहीं लगने से पूर्व की कल्पाकल्प की विधि पूर्वक वहन करना चाहिए। यदि इसे भगवतीसूत्र के साथ वहन करें तो षष्ठ योग लगने के बाद की कल्पाकल्प विधि के द्वारा एकांतर आयंबिल से वहन करना चाहिए, ऐसी महासप्ततिक की मान्यता है ।
• किन्हीं आचार्य के अनुसार प्रश्नव्याकरण में पाँच-पाँच अध्ययन के दो श्रुतस्कन्ध हैं।
• इस दसवें अंगसूत्र के अन्तिम चार दिन आक सन्धि के माने जाते हैं। प्रश्नव्याकरणसूत्र की योगविधि इस प्रकार है
पहले दिन योगवाही प्रश्नव्याकरणसूत्र एवं उसके श्रुतस्कन्ध के उद्देश की क्रिया करें। इसके बाद प्रथम अध्ययन के उद्देश - समुद्देश- अनुज्ञा की क्रिया करें,