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________________ 348... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण अध्ययनों के समुद्देश की क्रिया करें, फिर प्रथम वर्ग का समुद्देश करें उसके बाद आदि के पाँच एवं अंत के पाँच - ऐसे दस अध्ययनों एवं प्रथम वर्ग की अनुज्ञा विधि करें। इन उद्देश आदि के निमित्त. एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ ग्यारह - ग्यारह बार करें। दूसरे दिन योगवाही द्वितीय वर्ग और उसके आदि के सात एवं अन्त के छह- ऐसे तेरह अध्ययनों के उद्देश- समुद्देश- अनुज्ञा की क्रिया प्रथम वर्ग के समान पूर्ण करें तथा एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें । तीसरे दिन योगवाही तृतीय वर्ग और उसके आदि के पाँच एवं अन्त के पाँच - ऐसे दस अध्ययनों के उद्देश- समुद्देश- अनुज्ञा की क्रिया प्रथम वर्ग के समान पूर्ण करें तथा एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें। चौथे दिन योगवाही अनुत्तरोपपातिक श्रुतस्कन्ध के समुद्देश की क्रिया करें तथा एक कालग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक - एक बार करें। पाँचवें दिन योगवाही अनुत्तरोपपातिक श्रुतस्कन्ध की अनुज्ञा की क्रिया करें तथा एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक - एक बार करें। छठवें दिन योगवाही अनुत्तरोपपातिकसूत्र के समुद्देश की क्रिया करें तथा एक कालग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें। सातवें दिन योगवाही अनुत्तरोपपातिकसूत्र की अनुज्ञा की क्रिया करें तथा एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें। इस प्रकार अनुत्तरोपपातिकदशासूत्र के योग में कुल सात दिन और तीन नंदी होती हैं।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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