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________________ 344... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण दिन वर्ग 8 9 THBE 8 अध्ययन आ.2/अं.2 आ./अं.2 आ.4/अं.4 आ.4/अं.4 7 7 10 10 9 9 नी. नी. नी. 11 12 13 श्रु. समु.अ. अं. समु. अं. अनु., नंदी नंदी 0 0 2 1 आ. आ. आ. कायोत्सर्ग 9 तप • आचारदिनकर के अनुसार तप क्रम दशवैकालिकसूत्र के यन्त्रवत समझें। उपासकदशासूत्र योग विधि • यह सातवाँ अंग सूत्र है। इसमें एक श्रुतस्कन्ध और दस अध्ययन हैं। दस अध्ययन एक समान है अर्थात उनमें उद्देशक नहीं है। दस अध्ययन में दस दिन और अंग सूत्र आदि में चार दिन - इस प्रकार सातवें अंग सूत्र के योग में कुल चौदह दिन लगते हैं। 9 नी. 0155 • दस अध्ययनों के नाम ये हैं- 1. आनन्द 2. कामदेव 3. चूलनीपिता 4. सुरदेव 5. चुल्लशतक 6. कुण्डकौलिक 7. सकड़ालपुत्र 8. महाशतक 9. नन्दिनीपिता 10. सालिहीपिता । उपासकदशासूत्र की योगोद्वहन विधि यह है पहले दिन योगवाही उपासकदशांग एवं उसके श्रुतस्कन्ध की उद्देश क्रिया करें। उसके बाद प्रथम अध्ययन के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इन उद्देश आदि के निमित्त एक कालग्रहण लें, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें। दूसरे दिन योगवाही द्वितीय अध्ययन के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। तीसरे दिन से लेकर दसवें दिन तक क्रमश: तृतीय अध्ययन से यावत दस अध्ययनों के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। प्रतिदिन एक-एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन. तीन बार करें। ग्यारहवें दिन योगवाही श्रुतस्कन्ध के समुद्देश की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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