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336... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
उनसठवें दिन योगवाही पच्चीसवें शतक एवं उनके आदि के छह एवं अन्त के छह- ऐसे बारह उद्देशकों के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक के समान पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
साठ से लेकर चौसठवें दिन तक योगवाही छब्बीस से तीस पर्यन्त पाँच शतकों के योग पूर्ण करें। छब्बीसवाँ बंधई नामक शतक, सत्ताईसवाँ करिंसुग नामक शतक, अट्ठाईसवाँ कर्मसमार्जन नामक शतक, उनतीसवाँ कर्म प्रस्थापना नामक शतक और तीसवाँ समवसरण नामक शतक है- इन पाँचों शतकों में ग्यारह - ग्यारह उद्देशक हैं। उन उद्देशकों के 6+5 ऐसे दो भाग करके उनके उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। पाँच दिन तक एक-एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
पैंसठवें दिन योगवाही इकतीसवें उपपात शतक एवं उनके आदि के चौदह एवं अन्त के चौदह - ऐसे अट्ठाईस उद्देशकों के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक के समान पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
छियासठवें दिन योगवाही बत्तीसवें उद्वर्तन शतक एवं उनके आदि के चौदह एवं अन्त के चौदह- ऐसे अट्ठाईस उद्देशकों के उद्देश- समुद्देश- अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक के समान पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
सड़सठवें दिन योगवाही तैंतीसवें एकेन्द्रिययुग्म शतक (जिसमें बारह उपशतक है) के एवं उसके आदि के बासठ एवं अन्त के बासठ - ऐसे एक सौ चौबीस उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश - अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक के समान पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
अड़सठवें दिन योगवाही चौतीसवें एकेन्द्रियश्रेणि शतक (जिसमें बारह उपशतक हैं) के एवं उसके आदि के बासठ एवं अन्त के बासठ - ऐसे एक सौ चौबीस उद्देशकों के उद्देश- समुद्देश- अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक के समान पूर्ण