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योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...335 इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
तिरपनवें दिन योगवाही उन्नीसवें शतक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। साथ ही इसी शतक के आदि के पाँच एवं अन्त के पाँच-ऐसे दस उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक की भाँति पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
चौवनवें दिन योगवाही बीसवें शतक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। साथ ही इसी शतक के आदि के पाँच एवं अन्त के पाँच-ऐसे दस उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक की भांति पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
पचपनवें दिन योगवाही इक्कीसवें शतक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। साथ ही इसी शतक के आदि के चालीस एवं अन्त के चालीसऐसे अस्सी उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक की भाँति पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
छप्पनवें दिन योगवाही बाईसवें शतक एवं उनके आदि के तीस एवं अन्त के तीस-ऐसे साठ उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक की भाँति पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
सत्तावनवें दिन योगवाही तेईसवें शतक एवं उनके आदि के पच्चीस एवं अन्त के पच्चीस-ऐसे पचास उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया नौवें शतक के समान पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
अट्ठावनवें दिन योगवाही चौबीसवें शतक एवं उनके आदि के बारह एवं अन्त के बारह-ऐसे चौबीस उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया, नौवें शतक के समान पूर्ण करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।