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________________ 330... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह-छह बार करें। बारहवें दिन योगवाही दसवें उद्देशक के उद्देश, समुद्देश की क्रिया करें, फिर दूसरे शतक का समुद्देश करें, फिर दसवें उद्देशक एवं द्वितीय शतक की अनुज्ञा करें, एक काल का ग्रहण और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें। इस प्रकार द्वितीय शतक सात दिन और सात काल में पूर्ण होता है। __• विधिमार्गप्रपा के अनुसार पहले दिन 'खंधक' उद्देशक की अनुज्ञा न होने पर दूसरे दिन कायोत्सर्ग आदि अनुष्ठान करने के पश्चात उसकी अनुज्ञा की जाती है। द्वितीय शतक के इन सात दिनों में आहार पानी की पाँच दत्तियाँ होती हैं। तीन भोजन की तथा दो पानी की, अथवा दो भोजन की तीन पानी की या दो-दो आहार-पानी की तथा एक लवण की- इस प्रकार तीन विकल्पों से पाँच दत्तियाँ होती हैं। • यहाँ दत्ति से यह तात्पर्य है कि जब मुनि गृहस्थ के घर भिक्षार्थ जाता है वहाँ उसे सर्वप्रथम जितना आहार दिया जाता है, उस दिन उतना ही ग्रहण करना- यह मुनियों की दत्ति है। गृहस्थ की दत्ति से तात्पर्य यह है कि दत्ति के प्रत्याख्यान से अनभिज्ञ व्यक्ति के द्वारा दत्ति प्रत्याख्याता गृहस्थ की थाली में जो प्रथम बार रख दिया जाता है, वे उस दिन उतना ही आहार लें, दूसरी बार ग्रहण नहीं करें- यह गृहस्थों की दत्ति है। तेरहवें दिन योगवाही तीसरे शतक के उद्देश की क्रिया करें, इसके बाद इसके ही प्रथम उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक काल ग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ चार चार बार करें। चौदहवें दिन योगवाही तीसरे शतक के 'चमर' नामक द्वितीय उद्देशक के उद्देश, समुद्देश की क्रिया करें। यदि उस दिन योगवाही के द्वारा चमर उद्देशक कण्ठस्थ कर लिया जाए तो उसे उसी दिन अनुज्ञा दे दें, अन्यथा दूसरे दिन मुखाग्र करने पर आयंबिल द्वारा अनुज्ञा दें। इस दिन एक काल ग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ दो-दो बार करें। __पन्द्रहवें दिन योगवाही चमर उद्देशक की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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