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________________ योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि...325 चौथे उद्देशक एवं दूसरे अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस दिन एक काल का ग्रहण और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें। चौथे दिन योगवाही तृतीय अध्ययन का उद्देश करें फिर तृतीय अध्ययन के पहले-दूसरे उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें। पाँचवें दिन योगवाही तृतीय अध्ययन के तीसरे-चौथे उद्देशक के उद्देश एवं समुद्देश की क्रिया करें। फिर तृतीय अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरेचौथे उद्देशक एवं तृतीय अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस दिन एक काल का ग्रहण और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें। छठवें दिन योगवाही चतुर्थ अध्ययन का उद्देश करें, फिर चतुर्थ अध्ययन के पहले दूसरे उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें। सातवें दिन योगवाही चतुर्थ अध्ययन के तीसरे-चौथे उद्देशक के उद्देश एवं समुद्देश की क्रिया करें। फिर चतुर्थ अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे-चौथे उद्देशक एवं चतुर्थ अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस दिन एक काल का ग्रहण और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें। आठवें दिन योगवाही पंचम अध्ययन का उद्देश करें, फिर पंचम अध्ययन के पहले दूसरे उद्देशक के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें। नौवें दिन योगवाही पंचम अध्ययन के तीसरे उद्देशक के उद्देश एवं समुद्देश की क्रिया करें। फिर पंचम अध्ययन का समद्देश करें, फिर तीसरे उद्देशक एवं पंचम अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस दिन एक काल का ग्रहण और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें। दसवें दिन योगवाही षष्ठम अध्ययन के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया-विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। ग्यारहवें दिन से लेकर चौदहवें दिन तक शेष चार अध्ययनों को एकएक दिन में पूर्ण करें। इनके उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया पूर्ववत ही
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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