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योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि... 321
क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
चौथे दिन योगवाही द्वितीय अध्ययन का उद्देश करें, फिर इस अध्ययन के तीसरे उद्देशक का उद्देश- समुद्देश करें, फिर दूसरे अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे उद्देशक एवं दूसरे अध्ययन की अनुज्ञा करें, उस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें।
पाँचवें दिन योगवाही उपसर्गपरिज्ञा नामक तृतीय अध्ययन का उद्देश करें, फिर तृतीय अध्ययन के पहले दूसरे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में परिवर्तित सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
छठवें दिन योगवाही तृतीय अध्ययन के तीसरे - चौथे उद्देशक के उद्देशसमुद्देश की क्रिया करें, फिर तीसरे अध्ययन का समुद्देश करें, तीसरे - चौथे उद्देशक एवं तीसरे अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें।
सातवें दिन योगवाही स्त्रीपरिज्ञा नामक चतुर्थ अध्ययन का उद्देश करें, फिर इस अध्ययन के पहले दूसरे उद्देशक के उद्देश- समुद्देश की क्रिया करें, फिर चौथे अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पहले दूसरे उद्देशक एवं चौथे अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
आठवें दिन योगवाही नरक विभक्ति नामक पंचम अध्ययन का उद्देश करें, फिर इस अध्ययन के पहले दूसरे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश की क्रिया करें, फिर पाँचवें अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पहले दूसरे उद्देशक एवं पाँचवें अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस दिन एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
नौवें दिन योगवाही वीरस्तव नामक छठवें अध्ययन के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।
दसवें दिन से लेकर उन्नीसवें दिन तक शेष दस अध्ययनों को छठवें अध्ययन के समान एक-एक दिन में पूर्ण करें। इन अध्ययनों के उद्देशादि