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________________ 320... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण सूत्रकृतांगसूत्र योग विधि प्रथम श्रुतस्कन्ध · सूत्रकृतांगसूत्र में दो श्रुतस्कन्ध और तेईस अध्ययन हैं। • प्रथम श्रुतस्कन्ध में सोलह अध्ययन हैं। सोलह अध्ययनों के नाम ये हैं- 1. समय 2. वैतालीय 3. उपसर्गपरिज्ञा 4. स्त्रीपरिज्ञा 5. नरकविभक्ति 6. वीरस्तव 7. कुशीलपरिभाषा 8. वीर्य 9. धर्म 10. समाधि 11. मार्ग 12. समवसरण 13. यथातथ्य 14. ग्रन्थ 15 जमतीत 16. गाथा । • इन सोलह अध्ययनों में पन्द्रह उद्देशक हैं। प्रथम अध्ययन में चार, दूसरे अध्ययन में तीन, तीसरे अध्ययन में चार, चौथे अध्ययन में दो और पाँचवें अध्ययन में दो उद्देशक हैं। शेष ग्यारह अध्ययन एक समान हैं, इनमें उद्देशक नहीं हैं। • प्रथम श्रुतस्कन्ध के योग कुल बीस दिन में पूर्ण होते हैं। • प्रथम श्रुतस्कन्ध 'गाथा सोलसग' के नाम से प्रसिद्ध है। सूत्रकृतांगसूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध की योगविधि यह है - सूत्रकृतांगसूत्र के योग में प्रवेश करने के पहले दिन योगवाही नंदी क्रिया करें, फिर सूत्रकृतांगसूत्र का उद्देश करें, फिर प्रथम श्रुतस्कन्ध का उद्देश करें, फिर समय नामक प्रथम अध्ययन का उद्देश करें, फिर प्रथम अध्ययन के पहलेदूसरे उद्देशक के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। इस दिन एक काल का ग्रहण करें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में नौ बार मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना, नौ बार द्वादशावर्त्त वंदन, नौ बार खमासमणसूत्र पूर्वक वंदन एवं नौ बार मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना करें। दूसरे दिन योगवाही प्रथम अध्ययन के तीसरे - चौथे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश की क्रिया करें, फिर प्रथम अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे - चौथे उद्देशक एवं प्रथम अध्ययन की अनुज्ञा विधि करें। इन उद्देश आदि के निमित्त एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें। तीसरे दिन योगवाही वैतालीय नामक द्वितीय अध्ययन का उद्देश करें, फिर इस अध्ययन के पहले दूसरे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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