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योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि...319 छब्बीसवें दिन योगवाही आचारांगसूत्र की अनुज्ञा विधि करें, एक काल का ग्रहण करें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें।
इस प्रकार आचारांगसूत्र के दोनों श्रुतस्कन्धों के योगोद्वहन में 50 दिन, पचास कालग्रहण एवं पाँच नंदी होती है। श्रीआचारांग द्वितीय श्रुतस्कन्ध, दिन-26, काल-26, नंदी-3, अध्ययन-16 दिन | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 अध्ययन द्वि.श्रु.उ., | 1
1 | 1 | 2 नंदी अ.1 उद्देशक | 1/2 कायोत्सर्ग 8 तप । आ.
13 | 14/ 15 अध्ययन
सातिका.1 उद्देशक | 1/2 | कायोत्सर्ग तप | नी. | नी. | नी. | नी.
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दिन अध्ययन
| 17 | 10 सा.
18 11सा.
सा. |12सा. 13सा. 14सा.
उद्देशक कायोत्सर्ग| 3 तप | आ.
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आ.
दिन
25 अध्ययन अं.समु. अं. अ.
नंदी उद्देशक | 0 कायोत्सर्ग| 1 | तप । आ. | आ. • आचारदिनकर के अनुसार तप-क्रम दशवैकालिक सूत्र के यन्त्रवत समझें।