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योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...317 दसवें दिन योगवाही तृतीय अध्ययन के तीसरे उद्देशक के उद्देश-समद्देश करें, फिर तीसरे अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे उद्देशक एवं तीसरे अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक काल का ग्रहण करें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें।
ग्यारहवें दिन योगवाही भाषा नामक चतुर्थ अध्ययन का उद्देश करें, फिर चतुर्थ अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश की क्रिया करें, फिर चौथे अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पहले-दूसरे उद्देशक एवं चौथे अध्ययन की अनुज्ञा करें। इन वाचनाओं के निमित्त एक काल का ग्रहण करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
बारहवें दिन योगवाही वस्त्रैषणा नामक पाँचवें अध्ययन का उद्देश करें, फिर पाँचवें अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश करें, फिर पाँचवें अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पहले-दूसरे उद्देशक एवं पाँचवें अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
तेरहवें दिन योगवाही पात्रैषणा नामक छठवें अध्ययन का उद्देश करें, फिर छठे अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक का उद्देश-समुद्देश करें, फिर छठे अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पहले-दूसरे उद्देशक एवं छठे अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण ले और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
चौदहवें दिन योगवाही अवग्रह प्रतिमा नामक सातवें अध्ययन का उद्देश करें, फिर सातवें अध्ययन के पहले-दूसरे उद्देशक के उद्देश समद्देश की क्रिया करें, फिर सातवें अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पहले-दूसरे उद्देशक एवं सातवें अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक काल का ग्रहण करें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें। __ आठवें अध्ययन से लेकर चौदहवें अध्ययन तक के सात अध्ययन आयुक्तपानक के द्वारा होते हैं। __पन्द्रहवें दिन योगवाही स्थान नामक आठवें अध्ययन के उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। यहाँ से आयुक्तपानक का आरम्भ होता है।